श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी.(Shri Man Narayan Narayan Hari Hari)

श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी

श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी - x2


तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरी हरी

तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरी हरी - x2


भजमन नारायण नारायण हरी हरी - 2

जय जय नारायण नारायण हरी हरी - 2

श्रीमान नारायण नारायण हरी हरी - 2


हरी ॐ नमो नारायणा ॐ नमो नारायणा

हरी ॐ नमो नारायणा ॐ नमो नारायणा - x2


लक्ष्मी नारायण नारायण हरी हरी - 2

बोलो नारायण नारायण हरी हरी - 2


भजो नारायण नारायण हरी हरी - 2

जय जय नारायण नारायण हरी हरी - 2

श्रीमान नारायण नारायण हरी हरी - 2


तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरी हरी - 2

श्रीमान नारायण नारायण हरी हरी - 2


हरी ॐ नमो नारायणा ॐ नमो नारायणा

हरी ॐ नमो नारायणा ॐ नमो नारायणा - x2


सत्य नारायण नारायण हरी हरी - 2

जपो नारायण नारायण हरी हरी - 2

भजो नारायण नारायण हरी हरी - 2

जय जय नारायण नारायण हरी हरी - 2

श्रीमान नारायण नारायण हरी हरी - 2


तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरी हरी - 2

श्रीमान नारायण नारायण हरी हरी - 2


हरी ॐ नमो नारायणा ॐ नमो नारायणा

हरी ॐ नमो नारायणा ॐ नमो नारायणा - x2


बोलो नारायण नारायण हरी हरी - 2

भजमन नारायण नारायण हरी हरी - 2

जय जय नारायण नारायण हरी हरी - 2

श्रीमान नारायण नारायण हरी हरी - 2

तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरी हरी - 2

श्रीमान नारायण नारायण हरी हरी - 2


हरी ॐ नमो नारायणा ॐ नमो नारायणा

हरी ॐ नमो नारायणा ॐ नमो नारायणा - x2


........................................................................................................
वैकुंठ चतुर्दशी की कथा

वैकुंठ चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। ये कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी का पूजन एक साथ किया जाता है।

दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ(Dedo Apni Pujarin Ko Vardan Maa)

दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ,
मैया जब तक जियु मैं सुहागन जियु,

दुर्गा अष्टमी क्यों मनाई जाती है

मासिक दुर्गा अष्टमी हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी साधक मां दुर्गा की पूरी श्रद्धा और लगन से व्रत करता है। मां उन सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विधि

श्रीकृष्ण पूजन हिन्दू धर्म की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें भक्ति और पवित्रता का संगम होता है। इसे विशेषकर जन्माष्टमी या किसी शुभ अवसर पर किया जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने