तन तम्बूरा, तार मन,
अद्भुत है ये साज ।
हरी के कर से बज रहा,
हरी ही है आवाज ।
तन के तम्बूरे में दो,
सांसो की तार बोले ।
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम ।
तन के तम्बूरे में दो,
सांसो की तार बोले ।
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम ।
अब तो इस मन के मंदिर में,
प्रभु का हुआ बसेरा ।
मगन हुआ मन मेरा,
छूटा जनम जनम का फेरा ।
मन की मुरलिया में,
सुर का सिंगार बोले ।
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम ।
तन के तम्बूरे में दो,
सांसो की तार बोले ।
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम ।
लगन लगी लीला धारी से,
जगी रे जगमग ज्योति ।
राम नाम का हीरा पाया,
श्याम नाम का मोती ।
प्यासी दो अंखियो में,
आंसुओ के धार बोले ।
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम ।
तन के तम्बूरे में दो,
सांसो की तार बोले ।
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम ।
तन के तम्बूरे में दो,
सांसो की तार बोले ।
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम ।
सनातन धर्म में बुधवार का दिन विघ्नहर्ता यानी भगवान गणेश को समर्पित किया गया है। पौराणिक मान्यता है कि जो भी भक्त बुधवार के दिन सच्चे मन से गणेशजी की पूजा-अर्चना करता है, उसकी जिंदगी से धीरे-धीरे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित है और फिर उन्हीं के अनुसार उनकी पूजा की जाती है। ठीक ऐसे ही सनातन धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
हिंदू धर्म में शुक्रवार के दिन मां संतोषी और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि शुक्रवार को माता संतोषी और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है और माता रानी अपने भक्तों को सभी कष्टों से बचाती हैं।
शनिदेव को ग्रहों का राजा कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनिवार के दिन भगवान शनिदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिवत शनिदेव की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और कुंडली में साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है।