उज्जैनी में बाबा ने ऐसा,
डमरू बजाया,
मैं सुध बुध भूल आया,
कितना प्यारा उज्जैनी,
यहां दरबार सजाया,
मैं सुध बुध भूल आया ॥
सुनाने को बाबा मैं,
ऐसा सुनाऊंगा,
भजनों से भोले मैं जो,
तुमको रिझाऊंगा,
डमरू की धुन में,
बाबा ऐसा नाद बजाया,
मैं सुध बुध भूल आया।
उज्जैनी मे बाबा ने ऐसा,
डमरू बजाया,
मैं सुध बुध भूल आया ॥
करूंगा मैं सेवा तेरी,
चरण पखारूंगा,
नैनो से भोले मैं हाँ,
तुमको निहारूंगा,
‘दीपक दास’ ने,
महाकाल तुम्हारा,
ही गुण गाया,
मैं सुध बुध भूल आया।
उज्जैनी मे बाबा ने ऐसा,
डमरू बजाया,
मैं सुध बुध भूल आया ॥
उज्जैनी में बाबा ने ऐसा,
डमरू बजाया,
मैं सुध बुध भूल आया,
कितना प्यारा उज्जैनी,
यहां दरबार सजाया,
मैं सुध बुध भूल आया ॥
लल्ला की सुन के मै आयी,
यशोदा मैया देदो बधाई,
मैं माँ अंजनी का लाला श्री राम भक्त मतवाला,
मेरा सोटा चल गया रे बजा डंका राम का,
लाऊँ कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया,
लौट के आजा नंद के दुलारे,
उम्मीद लगाए,