हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को जीवनदायी शक्ति माना गया है। शास्त्रों के अनुसार नित्य भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सौभाग्य, उन्नति और समृद्धि आती है। विशेषकर छठ में सूर्य की पूजा का अत्यधिक महत्व है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन के संकट कम होते हैं बल्कि कार्यक्षेत्र में भी उन्नति होती है। कुंडली में सूर्य संबंधी दोषों का निवारण और परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ाने के लिए यह बेहद ही प्रभावी उपाय माना जाता है। इसके साथ ही मन की शांति और आत्मिक बल में भी वृद्धि होती है।
मान्यता है कि भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से उनकी विशेष कृपा भक्तों को प्राप्त होती है। विशेषकर कुंडली में सूर्य दोष दूर करने, धन-वैभव, यश और सम्मान पाने के लिए यह उपाय अत्यंत लाभकारी माना गया है। सही विधि से अर्घ्य देने से छठ महापर्व का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है।
दिन की शुरुआत अच्छे कार्य से करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। खासकर सूर्य को अर्घ्य देना जीवन में शांति और संतुलन लाता है। सूर्य को ग्रहों का राजा और आत्मा का प्रतीक माना जाता है। प्रतिदिन जल चढ़ाने से समृद्धि, धन-वैभव और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। सूर्य को जल देने से समाज में मान-सम्मान मिलता है और कुंडली में सूर्य दोषों का निवारण होता है। नित्य अर्घ्य देने से शरीर में स्फूर्ति और ऊर्जा बढ़ती है। इससे मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है। अर्घ्य देने से भाग्य उदय होता है और कार्यों में सफलता मिलती है।
सूर्य की ऊर्जा से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति स्वस्थ रहता है। सूर्य को अर्घ्य देने से मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे कार्यक्षेत्र में आत्मविश्वास के साथ सफलता मिलती है। सूर्य अर्घ्य व्यक्ति में धैर्य और विनम्रता का संचार करता है, जो जीवन में सकारात्मकता लाता है। भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा से न केवल आध्यात्मिक लाभ होते हैं बल्कि व्यावहारिक जीवन में भी उन्नति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य अर्घ्य से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है और व्यक्ति की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
विवाह पंचमी के अवसर पर वृंदावन में ठाकुर बांके बिहारी का जन्मदिन बड़े ही धूमधाम और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है।
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है जो भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की स्मृति में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है।
विवाह पंचमी पर केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन अयोध्या और जनकपुर में विशेष उत्सव और शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं।
हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का व्रत किया जाता है। इस खास अवसर पर गणपति की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विशेष प्रकार का व्रत भी किया जाता है।