देश विदेश में कई जगह इस्कॉन मंदिर है। दिल्ली का यह मंदिर भी लोगों के बीच बहुत फेमस है। हम बात कर रहे हैं दिल्ली के रोहिणी में स्थित इस्कॉन मंदिर की। इस मंदिर का 2005 से मंदिर स्थापना का उपक्रम शुरू हुआ था। 2005 में मंदिर निर्माण के लिए जगह मिली थी। फिर 2010 में भूमि पूजन के बाद निर्माण कार्य शुरू हुआ। इसके बाद निर्माण कार्य के 13 वर्ष पूरे होने के बाद राम जन्मोत्सव के मौके पर पूरे धार्मिक मंत्रोच्चारण के साथ इस भव्य मंदिर का उद्घाटन किया गया। रामनवमी के खास मौके पर रोहिणी के सेक्टर 25 स्थित विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल में से एक इस्कॉन इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस के भव्य मंदिर का उद्घाटन किया गया। एक एकड़ में फैले इस मंदिर में रेस्टोरेंट, वैदिक शिक्षा संग्रहालय, बैंक्वेट हॉल शामिल है। बता दें कि यह दिल्ली में अठारहवाँ इस्कॉन मंदिर है। इस मंदिर का एक-एक कोना इतना सुंदर है कि लोग घंटों बैठने के बाद भी थकते नहीं हैं।
मंदिर की बाहरी दीवारों पर लाल रंग के संगमरमर पत्थर का उपयोग किया गया है। मंदिर में दीवारों पर भगवान के सुंदर चित्रों के साथ समुद्र मंथन, कालिया नाग मर्दन, गीता उपदेश और श्रीकृष्ण का विराट रूप जैसी भगवान की लीलाओं को भी दर्शाया गया है। इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस खास दिन पर रात 12:00 बजे भगवान श्री कृष्ण का अभिषेक किया जाता है और फिर इसके बाद उन्हें प्रसाद अर्पित किया जाता है।
जानकारी के मुताबिक, मंदिर का बाहरी हिस्सा उत्कृष्ट नक्काशी से सजाया गया है, जिसे बंसी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थर पर तैयार किया गया है। इस मंदिर की सुंदरता वृंदावन के प्रेम मंदिर और बांके बिहारी मंदिर जैसी है। मंदिर प्रबंधन ने सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है, ताकि सभी भक्त सुरक्षित और आरामदायक अनुभव कर सकें।
आज 06 अप्रैल 2025 चैत्र माह का इक्कीसवां दिन है और आज इस पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष तिथि नवमी है। इसे रामनवमी कहा जाता है, इस दिन भगवान राम की विधि विधान से पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें से मां दुर्गा का चौथा रूप देवी कूष्मांडा का है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कूष्मांडा की मुस्कान से पृथ्वी का निर्माण हुआ था, इसलिए उन्हें सृष्टि का पालक भी कहा जाता है।
देवी दुर्गा का चौथा स्वरूप मां कूष्मांडा का हैं, जिनकी चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन पूजा की जाती है, मां का यह स्वरूप शक्ति, ऊर्जा और आत्मज्ञान का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कूष्मांडा के मंद मुस्कान से इस सृष्टि की रचना हुई थी।
लोक आस्था का महापर्व चैती छठ सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। यह 4 दिनों तक चलता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है।