दिल्ली में कई ऐसे मंदिर हैं जो बहुत लोकप्रिय है, इन्हीं में से एक है सात मंजिला। सात मंजिला मंदिर, जिसे “सात मंजिल मंदिर” के नाम से जाना जाता है, मेट्रो स्टेशन के पास तिलक नगर मार्केट में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण सन् 1968 में हुआ था। पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर में 120 वर्ष पुराने सात मंजिला मंदिर में एशिया का दूसरा सबसे विशालकाय पारद शिवलिंग स्थापित है।
बता दें कि यहां 551 किलो का पारद शिवलिंग मौजूद है। ऐसी मान्यता है कि पारद शिवलिंग का पूजन करने से भक्त को स्वास्थ्य एवं सफलता की प्राप्ति होती है। पारद की उत्पत्ति भगवान शिव के अंश से हुई थी। इस मंदिर में 25 पुजारी कार्यरत हैं, जो कि 24 घंटे इसी मंदिर में भगवान की सेवा में रहते है। इसके साथ ही यहां पूरे साल तीन पहर का भंडारा भी चलता रहता है। मंदिर के प्रत्येक मंजिलें पर अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए दरबार बने हुए हैं। सात मंजिला मंदिर सभा एक धर्मार्थ अस्पताल भी चलाती है जो जरूरतमंद और गरीबों को सहायता प्रदान करती है।
पारद शिवलिंग सभी पापों का नाश करने तथा रोगों से मुक्ति प्रदान करने वाला शिवलिंग है। कहा जाता है कि पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से ही महादेव प्रसन्न हो जाते हैं। बता दें कि पारद शिवलिंग को पारा, चांदी और जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार किया जाता है। इसकी विशेषता है कि इस शिवलिंग की पूजा से भक्तों को 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का पुण्य मिलता है। इसके साथ ही पारद शिवलिंग को घर में रखने से भगवान शिव, माता लक्ष्मी और कुबेर का स्थायी वास होता है।
तिलक नगर मार्केट स्थित सात मंजिला मंदिर में 12 महीने श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। पारद शिवलिंग मंदिर का निर्माण हरिद्वार स्थित भारत माता के सात मंजिला मंदिर की तर्ज पर कराया गया था। ये सात मंजिला मंदिर सभा एक धर्मार्थ अस्पताल भी चलाती है जो जरूरतमंद और गरीबों को सहायता प्रदान करती है। मंदिर की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इस भव्य मंदिर में दर्शन के लिए आ चुके हैं।
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए तिलक नगर मुख्य बाजार से पैदल या रिक्शा के माध्यम से जाया जा सकता है। वहीं, तिलक नगर मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर से 2 बाहर निकल कर करीब 300 मीटर की दूरी पर यह मंदिर मौजूद है। इसके अलावा डीटीसी की बस सेवा से भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया,
बना वेद का अधीकारी ।
दीपावली, जिसे दीपोत्सव या महालक्ष्मी पूजन का पर्व भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का सबसे पावन त्योहारों में से एक है। यह पर्व विशेषकर धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए ही मनाया जाता है।
शुक्रवार का दिन देवी पार्वती सहित सभी स्त्री देवी-स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन माता पार्वती को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाने का उत्तम समय है।
धन जोबन और काया नगर की,
कोई मत करो रे मरोर ॥