चित्रगुप्त पूजा का विशेष महत्व दीपावली के दो दिन बाद भाई दूज के दिन होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है, जो व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। चित्रगुप्त जी की पूजा के लिए कायस्थ समाज विशेष रूप से इस दिन को मनाता है। इस दिन लोग अपनी किताब, कलम और लेखन सामग्री की पूजा करते हैं, जिससे व्यापार में वृद्धि, सुख-समृद्धि और बुद्धिमत्ता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
चित्रगुप्त भगवान को देवताओं के लेखपाल और कायस्थ समाज के संस्थापक माना जाता है। उनके पास हर व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा रहता है, इसलिए उनकी पूजा से विद्या, बुद्धि और लेखन में सफलता प्राप्त होती है। भाई दूज के दिन कलम, दवात और बही-खाता की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि पूजा में उपयोग की गई कलम का लेखन प्रभावी हो जाता है, जिससे कोई भी कार्य शुभ और सिद्ध होता है।
इस वर्ष चित्रगुप्त पूजा 3 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07:57 से दोपहर 12:04 तक रहेगा। इस मुहूर्त के दौरान भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
दीपावली की रात जिन पुस्तकों की पूजा की थी। उनमें इस दिन स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर 'श्री गणेशाय नमः' लिखें। यह शुभता और सिद्धि प्रदान करता है।
भाई दूज के दिन नए बही खातों में काम शुरू किया जाता है, जो व्यापार में लाभ का प्रतीक है। चित्रगुप्त पूजा से बुद्धि, विद्या, और लेखन में उन्नति होती है और इसे विशेषकर व्यापारी और लेखकों के लिए लाभकारी माना गया है।
आयो नंदगांव से होली खेलन नटवर नंद किशोर ।
आयो नंदगांव से होली खेलन नटवर नंद किशोर ।
आयो सावणियो,
दादी जी म्हारी,
अब दया करो हे भोलेनाथ,
मस्त रहूं तेरी मस्ती में,
आ रही है पालकी,
भोलेनाथ शम्भू महाकाल की,