बसंत पंचमी के दिन क्या करें, क्या नहीं

बसंत पंचमी पर इन बातों का रखें ध्यान, मां सरस्वती की पूजा में ना करें ये गलतियां 


बसंत पंचमी का पर्व जो कि माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह त्योहार ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा के लिए विशेष है जो कि वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी है। इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है और मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। लेकिन कुछ गलतियों को करने से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और मां सरस्वती नाराज हो सकती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि बसंत पंचमी के दिन क्या करें और क्या न करें ताकि आप मां सरस्वती की कृपा प्राप्त कर सकें और अपने जीवन में ज्ञान और सफलता प्राप्त कर सकें। 


साल 2025 में कब है बसंत पंचमी?


हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल की पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी और 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी।


बसंत पंचमी पर पीले रंग का महत्व 


बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है। यह रंग ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद पीले वस्त्र पहनकर विधिपूर्वक मां सरस्वती की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। मां सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र, भोग और पुष्प अर्पित करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह रंग मां सरस्वती को प्रसन्न करने में मदद करता है और ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि की प्राप्ति में सहायक होता है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का महत्व बढ़ जाता है और इसे शुभ माना जाता है।


बसंती पंचमी के पर्व पर क्या करें और क्या नहीं? 


बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से ज्ञान, बुद्धि और सफलता प्राप्त होती है। लेकिन कुछ गलतियों को करने से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और मां सरस्वती नाराज हो सकती हैं। आइए जानते हैं कि बसंत पंचमी के दिन क्या करें और क्या न करें-


क्या करें:


  • मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें।
  • पीले रंग के वस्त्र पहनें और पीले फूल अर्पित करें।
  • मीठे पीले चावल या केसर की खीर बनाएं।
  • अपनी बहीखाते, पेन, पेपर और अन्य रजिस्टरों की पूजा करें।
  • शुद्ध सात्विक भोजन करें और उपवास रखें।


क्या न करें:


  • किसी से भी गलत नहीं बोलना चाहिए।
  • तामसिक चीजों का सेवन न करें।
  • काले रंग के कपड़े न पहनें।
  • पेड़-पौधों को काटना नहीं चाहिए।
  • मांस और शराब का सेवन न करें।


इस दिन की पूजा से मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि को बढ़ावा देती है।



........................................................................................................
हो होली खेलत आज युगल जोड़ी(Holi Khelat Aaj Jugal Jodi)

हो होली खेलत आज युगल जोड़ी
होली खेलत आज युगल जोड़ी, होली खेलत

ही आशा लेकर आती हूँ ( Yahi Aasha Lekar Aati Hu)

यही आशा लेकर आती हूँ,
हर बार तुम्हारे मंदिर में,

जया एकादशी व्रत नियम

प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है—एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। कृष्ण पक्ष की एकादशी पूर्णिमा के बाद आती है, जबकि शुक्ल पक्ष की एकादशी अमावस्या के बाद आती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।