महाकुंभ जो कि दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है इस बार बसंत पंचमी पर विशेष रूप से खास होने वाला है। इस दिन महाकुंभ में तीसरा अमृत स्नान होना तय हुआ है जो कि त्रिवेणी संगम में होगा। बसंत पंचमी पर महाकुंभ का स्नान एक विशेष अवसर है जहां लोग अपने पापों को धोने और आत्मा को शुद्ध करने के लिए एकत्रित होते हैं। यह एक ऐसा अवसर है जो आपको आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रेरित कर सकता है। ऐसे में आइये जानते हैं बसंत पंचमी पर महाकुंभ स्नान खास क्यों है और इसका महत्व क्या है?
रवि योग का संयोग: बसंत पंचमी के दिन रवि योग का संयोग बन रहा है जो कि सुबह 6 बजकर 45 मिनट से सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। रवि योग में सूर्य का प्रभाव अधिक होता है और सभी दोष नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा साध्य योग और रेवती नक्षत्र का संयोग भी बनेगा जो कि पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अच्छा है।
अमृत स्नान का महत्व: अमृत स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है आत्मा को शुद्धि मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
त्रिवेणी संगम का महत्व: त्रिवेणी संगम-जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है एक पवित्र स्थल माना जाता है। यहां स्नान करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ का महत्व: महाकुंभ, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है एक विशेष अवसर प्रदान करता है जहां लोग अपने पापों को धोने और आत्मा को शुद्ध करने के लिए एकत्रित होते हैं।
बसंत पंचमी पर महाकुंभ में अमृत स्नान करना एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। यह स्नान त्रिवेणी संगम में किया जाता है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। बसंत पंचमी पर अमृत स्नान का महत्व इस प्रकार है:
मासिक कार्तिगाई एक विशेष हिंदू त्योहार है। यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। इस दिन दीप जलाने की परंपरा है। इस दिन खासकर घरों और मंदिरों में दीपक जलाया जाता है।
कार्तिगाई दीपम का पर्व मुख्य रूप से तमिलनाडु, श्रीलंका समेत विश्व के कई तमिल बहुल देशों में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मासिक कार्तिगाई हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने आने वाला एक पवित्र दिन है। यह चंद्र मास के कार्तिगाई नक्षत्र के दौरान मनाया जाता है। साल 2025 में फरवरी माह में भी मासिक कार्तिगाई का त्योहार मनाया जाएगा।
सनातन हिंदू धर्म में, हर महीने मां दुर्गा के निमित्त मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत और पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा का व्रत करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।