ललिता जयंती की पूजा विधि

Lalita Jayanti Puja Vidhi: ललिता जयंती पर कैसे करें मां की पूजा, यहां जानिए पूरी विधि और महत्व 


ललिता जयंती का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ललिता माता आदिशक्ति त्रिपुर सुंदरी, जगत जननी मानी जाती हैं। मान्यता है कि देवी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। माघ पूर्णिमा के दिन मां ललिता की आराधना करना अत्यंत शुभकारी माना जाता है। माता ललिता को राजेश्वरी, षोडशी, त्रिपुरा सुंदरी आदि नामों से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, माता ललिता दस महाविद्याओं में तीसरी महाविद्या मानी जाती हैं। आइए जानते हैं कि मां ललिता की पूजा विधि क्या है।


ललिता जयंती पूजा विधि


  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ सफेद वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं।
  • चौकी पर मां ललिता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
  • पूजा के लिए स्वयं उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • मां ललिता को कुमकुम और हल्दी अर्पित करें, फिर उन्हें अक्षत, फल, फूल और दूध से बना प्रसाद चढ़ाएं। आप मां को खीर भी अर्पित कर सकते हैं।
  • इसके बाद पूरी विधि-विधान से पूजा करें और "ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः" मंत्र का जाप करें।
  • ललिता जयंती की व्रत कथा का पाठ करें या उसे सुनें।
  • धूप-दीप से मां की आरती करें और भोग अर्पित करें।
  • पूजा समाप्त होने के बाद मां से भूल-चूक की क्षमा मांगें। फिर प्रसाद को नौ वर्ष से कम आयु की कन्याओं में वितरित करें। यदि कन्याएं उपलब्ध न हों, तो यह प्रसाद गाय को खिला सकते हैं।


ललिता जयंती का महत्व


शारदीय नवरात्रि के पंचम दिन स्कंद माता के साथ मां सती स्वरूपा ललिता देवी की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत और पूजा करने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं, रोग एवं कष्ट समाप्त होते हैं और भक्त को संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही, जीवन के समस्त सुख भोगकर अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।


........................................................................................................
अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती (Agar Maa Ne Mamta Lutai Na Hoti)

अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती ॥

मैया री एक भाई दे दे (Maiya Ri Ek Bhai Dede)

मैया री एक भाई दे दे दे दे,
ना तो मैं मर जांगी,

अपने प्रेमी को मेरे बाबा, इतना भी मजबूर ना कर (Apne Premi Ko Mere Baba Itna Bhi Majboor Na Kar)

अपने प्रेमी को मेरे बाबा,
इतना भी मजबूर ना कर,

अन्नपूर्णा जयंती कब है

माता अन्नपूर्णा को हिंदू धर्म में अन्न और धन की देवी के रूप में स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि मां अन्नपूर्णा के कृपा से ही पृथ्वी लोक के सभी जीवों को खाने के लिए भोजन या अन्न प्राप्त होता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।