प्रतिवर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती मनाने का विधान है। इस दिन मां नर्मदा की विशेष रूप से यह जयंती मनाई जाती है। मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी का विस्तार ज्यादा है ऐसे में अमरकंटक में नर्मदा जयंती को महापर्व की तरह मनाया जाता है। इस दिन मां नर्मदा की पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि जो पूरी श्रद्धा के साथ नर्मदा नदी की पूजा करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं कि नर्मदा जयंती पर किस तरह से पूजा करनी चाहिए।
धार्मिक मान्यता है कि जितना पुण्य पूर्णिमा पर गंगा स्नान से होता है उतना ही इस दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से भी होता है। मां गंगा की तरह मां नर्मदा भी मोक्षदायिनी मानी जाती हैं। बता दें कि भारत की 7 पवित्र नदियों में से नर्मदा का विशेष स्थान है। कहा जाता है कि मां नर्मदा में भी गंगा की ही तरह पापों का नाश करने की क्षमता है। मान्यता है कि गंगा श्री हरि विष्णु जी के चरणों से प्रकट हुई जबकि, नर्मदा की उत्पत्ति भगवान शंकर की आंख की भौहों से हुई थी।
यदि आप नर्मदा नदी पर जाकर स्नान और पूजन नहीं कर पा रहे हैं तो आप घर पर भी पूजा कर सकते हैं। आप मां नर्मदा की तस्वीर लागएं और उसे चौकी पर स्थापित करें। उनकी पूजा धूप-दीप, अक्षत, कुमकुम आदि से करें।
नर्मदा जयंती के दिन प्रात:काल पवित्र नदी में भक्त आस्था की डुबकी लगाते हैं। इस शुभ दिन पर लोग नर्मदा नदी की पूजा भी करते हैं और स्वास्थ्य, धन और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। स्नान के बाद लोग नदी में फूल, हल्दी, कुमकुम और दीप आदि अर्पित करते हैं। मध्य प्रदेश के अमरकंटक स्थान से ही नर्मदा का उद्गम होता है। इसलिए नर्मदा जयंती पर मां नर्मदा की पूजा के लिए इस स्थान को सबसे विशेष माना जाता है।