नर्मदा नदी पहाड़, जंगल और कई प्राचीन तीर्थों से होकर गुजरती हैं। वेद, पुराण, महाभारत और रामायण सभी ग्रंथों में इसका जिक्र है। इसका एक नाम रेवा भी है। माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को नर्मदा जयन्ती मनायी जाती है। इस पावन दिवस के अवसर पर भक्तगण नर्मदा नदी की पूजा करते हैं। नर्मदा नदी के पूजन से भक्तों के जीवन में शान्ति तथा समृद्धि का आगमन होता है। इसके पीछे कुछ पौराणिक कथा भी प्रचलित हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में नर्मदा नदी के उद्गम के पीछे की प्रचलित कथा के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।
मध्य प्रदेश के अमरकण्टक नामक स्थान से नर्मदा नदी का उद्गम होता है। अमरकण्टक, नर्मदा जयन्ती के पूजन के लिये सर्वाधिक लोकप्रिय स्थान है। यह नदी इतनी पवित्र है कि गंगा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, वह इस नदी के दर्शन मात्र से ही मिल जाता है।
नर्मदा नदी के पृथ्वी पर अवतरण की कथा स्कंद पुराण में मिलती है। कथा के अनुसार, राजा हिरण्य तेजा ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए चौदह हजार वर्षों तक कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया। तब उन्होंने महादेव से नर्मदा जी को पृथ्वी पर लाने का वरदान मांगा। भगवान शिव की आज्ञा से नर्मदा जी मगरमच्छ पर बैठकर उदयाचल पर्वत पर उतरीं और पश्चिम की ओर बहने लगीं।
एक अन्य कथा के अनुसार, जब एक बार भगवान शिव तपस्या में लेने थे, तो उनके पसीने से एक कन्या प्रकट हुई। इस कन्या का अलौकिक सौंदर्य था। तब भगवान शिव और माता पार्वती ने उनका नामकरण करते हुए कहा कि तुमने हमारे हृदय को हर्षित कर दिया है इसलिए आज से तुम्हारा नाम नर्मदा होगा। नर्मदा का शाब्दिक अर्थ है सुख देने वाली।
वहीं, एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और राक्षसों के बीच कई युद्ध हुए, जिस कारण देवता भी पाप के भागीदार बन गए। इस समस्या को लेकर सभी देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इसका समाधान का उपाय पूछने लगे। इस पर भगवान शिव ने देवताओं के पाप धोने के लिए मां नर्मदा को उत्पन्न किया था।
होली का हर पल जीवन के लिए एक संदेश लेकर आता है। इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में कभी भी आर्थिक तंगी नहीं आती है। इस साल होली 14 मार्च को मनाई जा रही है। 14 मार्च को शुक्रवार है। शुक्रवार को देवी लक्ष्मी का दिन माना जाता है। इस दिन वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है।
भारत देश त्योहारों का देश है और यहां हर त्यौहार का अपना महत्व और पूजा विधि है। इन्हीं त्यौहारों में से एक है छठ पूजा है, जो भगवान सूर्य को समर्पित है।
छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। इस दौरान सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा अर्चना की जाती है।
छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इसका विशेष महत्व है।