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1 से 7 अक्टूबर 2025 व्रत-त्योहार

1 से 7 अक्टूबर 2025 व्रत-त्योहार

October 2025 First Week Vrat Tyohar: 1 से 7 अक्टूबर तक पहले हफ्ते में पड़ेंगे ये त्योहार, देखें लिस्ट

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से अक्टूबर साल का 10वां महीना होता है। अक्टूबर के पहले हफ्ते में कई व्रत और त्योहार पड़ने वाले हैं। जिनमें महानवमी, दशहरा, शरद पूर्णिमा, पापांकुशा एकादशी और अन्य शामिल हैं। ये व्रत और त्योहार न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं, बल्कि हमारे जीवन को अध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों से भी भर सकते हैं। आइए इस आर्टिकल में अक्टूबर के पहले हफ्ते में पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों के बारे में जानते हैं। साथ ही उनके धार्मिक महत्व को समझते हैं।

1 से 7 अक्टूबर 2025 के व्रत-त्यौहार

  • 1 अक्टूबर 2025 - महा नवमी, सरस्वती बलिदान, आयुध पूजा, और दुर्गा बलिदान 
  • 2 अक्टूबर 2025- सरस्वती विसर्जन, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी, दशहरा, मध्वाचार्य जयन्ती, मैसूर दसरा, बुद्ध जयंती
  • 3 अक्टूबर 2025 - पापांकुशा एकादशी
  • 4 अक्टूबर 2025 - शनि त्रयोदशी, पद्मनाभ द्वादशी और शनि प्रदोष व्रत
  • 5 अक्टूबर 2025 - कोई व्रत या त्योहार नहीं है
  • 6 अक्टूबर 2025 - कोजागर पूजा, शरद पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा व्रत 
  • 7 अक्टूबर 2025 - वाल्मीकि जयंती, मीराबाई जयंती और आश्विन पूर्णिमा

1 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

1 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • बुधवार का व्रत - आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित है। 
  • महा नवमी - महा नवमी दुर्गा पूजा का तीसरा और अंतिम दिन है, जिसमें देवी दुर्गा के महिषासुरमर्दिनी रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन देवी दुर्गा ने दुष्ट राक्षस महिषासुर का वध किया था। महा नवमी पर महास्नान और षोडशोपचार पूजा से पूजा का आरंभ होता है, और नवमी हवन किया जाता है, जो दुर्गा पूजा का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। नवमी तिथि के अनुसार पूजा और व्रत किया जाता है, और बलिदान के लिए अपराह्न काल सबसे अच्छा समय माना जाता है।
  • सरस्वती बलिदान - नवरात्रि के दौरान सरस्वती पूजा के तृतीय दिवस को सरस्वती बलिदान दिवस के रूप में जाना जाता है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, जो हिन्दू धर्म की प्रमुख तीन देवियों में से एक हैं। सरस्वती बलिदान पूजा उत्तराषाढा नक्षत्र में की जानी चाहिए, जिसमें पहले उत्तर पूजा की जाती है और फिर नारियल से हवन किया जाता है। इसके बाद उत्तराषाढा नक्षत्र के दौरान कूष्माण्ड की बलि प्रदान की जाती है।
  • आयुध पूजा - आयुध पूजा पर्व महा नवरात्रि के समय मनाया जाता है, विशेष रूप से दक्षिण भारत में, जिसमें कर्नाटक, तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल शामिल हैं। यह पर्व नवरात्रि की नवमी तिथि पर पड़ता है, जिसे महा नवमी के नाम से भी जाना जाता है। आयुध पूजा को शस्त्र पूजा और अस्त्र पूजा भी कहा जाता है, जिसमें हथियारों और अन्य यंत्रों की पूजा की जाती है। इस अवसर पर शिल्पकार अपने उपकरणों और सामान की पूजा करते हैं, जो विश्वकर्मा पूजा के समान है, जो भारत के अन्य भागों में मनाया जाता है।

2 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

2 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • गुरूवार का व्रत - आज आप गुरूवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। 
  • सरस्वती विसर्जन - नवरात्रि के दौरान सरस्वती पूजा के चौथे और अंतिम दिन को सरस्वती विसर्जन दिवस या सरस्वती उद्वासन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती की विधिवत आराधना करनी चाहिए और उनसे बुद्धि, विद्या और ज्ञान प्रदान करने की प्रार्थना करनी चाहिए। श्रवण नक्षत्र में सरस्वती विसर्जन करना उचित माना जाता है। विसर्जन के साथ ही चार दिवसीय सरस्वती पूजा का समापन हो जाता है।
  • दुर्गा विसर्जन - दुर्गा विसर्जन दशमी तिथि के दौरान एक निश्चित शुभ समय में किया जाता है, जो आमतौर पर प्रातःकाल या अपराह्न में होता है। यदि श्रवण नक्षत्र और दशमी तिथि दोनों अपराह्न में होते हैं, तो अपराह्न को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। विसर्जन के बाद, कई भक्त नवरात्रि के उपवास को तोड़ते हैं, इसलिए दुर्गा विसर्जन का मुहूर्त नवरात्रि पारण के लिए भी महत्वपूर्ण होता है।
  • विजयादशमी/दशहरा - विजयादशमी का त्योहार भगवान श्री राम की रावण पर विजय और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। इसे दशहरा या दसरा भी कहा जाता है और नेपाल में इसे दशैं के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शमी पूजा, अपराजिता पूजा और सीमा अवलंघन जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं, जिन्हें अपराह्न समय में करना उचित माना जाता है।
  • बंगाल विजयादशमी - विजयादशमी का त्योहार भगवान राम की रावण पर विजय और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है, जिसे दशहरा या दसरा भी कहा जाता है। पश्चिम बंगाल में विजयादशमी अन्य राज्यों से एक दिन बाद मनाई जा सकती है, क्योंकि यहाँ मुहूर्त की बजाय केवल दशमी तिथि को महत्व दिया जाता है, जबकि अन्य राज्यों में मध्यान्ह के समय तिथि और नक्षत्र के संयोग के आधार पर मनाया जाता है। नेपाल में इसे दशैं के रूप में मनाया जाता है।
  • मैसूर दसरा - विजयादशमी के उत्सव पर मैसूर में एक भव्य दशहरा शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें देवी चामुण्डेश्वरी की प्रतिमा एक सुसज्जित हाथी पर विराजमान होकर चलती है। इस शोभायात्रा में झांकी, नृत्य समूह, संगीत, सजे हुए हाथी, घोड़े और ऊंट शामिल होते हैं। लगभग पांच किलोमीटर लम्बी यह शोभायात्रा मैसूर पैलेस से शुरू होकर बन्निमन्तप में समाप्त होती है, जहां शमी के पेड़ की पूजा की जाती है। यह हाथी परेड 'जम्बो सवारी' के नाम से प्रसिद्ध है।

3 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

3 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • शुक्रवार का व्रत - आज आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो माता लक्ष्मी को समर्पित है। 
  • पापांकुशा एकादशी - पापांकुशा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में रखा जाता है। इस व्रत के पालन से मनुष्य अपने जीवन के पापों से मुक्ति पा सकता है और यमलोक की यातनाएं नहीं सहनी पड़ती हैं। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना लाभदायक माना जाता है। रात्रि जागरण और भगवान का स्मरण भी इस व्रत का हिस्सा है। द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को अन्न और दक्षिणा दान करने के बाद व्रत का समापन होता है। व्रत के नियमों का पालन करने से व्रती को बैकुंठ धाम प्राप्त होता है।

4 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

4 अक्टूबर 2025 को चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है, ऐसे में आप मां दुर्गा की उपासना कर सकते हैं। 

  • शनिवार का व्रत - आज आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है। 
  • शनि त्रयोदशी - प्रदोष व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है और इसे दक्षिण भारत में प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। यह व्रत चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी को किया जाता है, जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आती हैं। प्रदोष व्रत के दिन के अनुसार इसे सोम प्रदोष, भौम प्रदोष और शनि प्रदोष कहा जाता है, जब यह क्रमशः सोमवार, मंगलवार और शनिवार को पड़ता है।
  • शनि प्रदोष व्रत - प्रदोष व्रत चंद्र मास की दोनों त्रयोदशी को किया जाता है, जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आती हैं। यह व्रत तब किया जाता है जब त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल में व्याप्त होती है, जो सूर्यास्त से शुरू होता है। शनि प्रदोष व्रत, जो शनिवार को पड़ता है, नाना प्रकार के संकटों और बाधाओं से मुक्ति के लिए किया जाता है। भगवान शिव शनिदेव के गुरु हैं, इसलिए यह व्रत शनि ग्रह से संबंधित दोषों, कालसर्प दोष और पितृ दोष के निवारण के लिए भी उत्तम माना जाता है। इस व्रत के पालन से भगवान शिव की कृपा से सभी ग्रह दोषों से मुक्ति प्राप्त होती है और शनि देव की कृपा से कर्मबन्धन काटने में मदद मिलती है।

5 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

5 सितंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • रविवार का व्रत - आज आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो सूर्य देव को समर्पित है। 

6 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

6 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • सोमवार का व्रत - आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है। 
  • आश्विन पूर्णिमा व्रत - हिन्दु धर्म में पूर्णिमा व्रत को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है, जो प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। बत्तीसी पूर्णिमा व्रत, जिसे द्वात्रिंशी पूर्णिमा व्रत भी कहा जाता है, का उल्लेख भविष्यपुराण में है, जिसमें मार्गशीर्ष से पौष माह तक की पूर्णिमाओं में व्रत करने और भाद्रपद की पूर्णिमा को उद्यापन करने का विधान है। इस व्रत से सुख-सौभाग्य, पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु के पूजन और चन्द्रोपासना के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिससे पापों का क्षय, पुण्य वृद्धि और मानसिक शुद्धि होती है। विभिन्न धार्मिक ग्रन्थों में इसका उल्लेख है, जो इसकी कल्याणकारी और फलदायी प्रकृति को दर्शाता है।
  • कोजागर पूजा - कोजागर व्रत पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जिसमें देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। इस व्रत में रात्रिकाल में जागरण करने का विधान है, क्योंकि आश्विन पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी संसार में भ्रमण हेतु निकलती हैं और जागते हुए भक्तों को धन-धान्य से सम्पन्न करती हैं। इस व्रत को कोजागरी पूजा, बंगाली लक्ष्मी पूजा और कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। स्कन्दपुराण के अनुसार, कोजगर व्रत एक सर्वश्रेष्ठ व्रत है, जिसका पालन करने से उत्तम गति प्राप्त होती है और जीवन में ऐश्वर्य, आरोग्य और सुख की प्राप्ति होती है।
  • शरद पूर्णिमा - शरद पूर्णिमा हिन्दु कैलेण्डर में एक प्रमुख पूर्णिमा है, जिसमें चन्द्रमा की सोलह कलाओं का महत्व है। इस दिन चन्द्रमा की पूजा करना विशेष महत्व रखता है, क्योंकि सोलह कलाओं का संयोजन एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करता है। भगवान श्री कृष्ण को सोलह कलाओं से परिपूर्ण अवतार माना जाता है, जबकि भगवान श्री राम को बारह कलाओं का संयोजन माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन नवविवाहित सौभाग्यवती स्त्रियां उपवास प्रारम्भ करती हैं, जो वर्ष की प्रत्येक पूर्णिमासी को उपवास करने का संकल्प लेती हैं। गुजरात में इसे शरद पूनम के नाम से जाना जाता है।

7 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

7 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • मंगलवार का व्रत - आज आप मंगलवार का व्रत रख सकते हैं, जो हनुमान जी को समर्पित है। 
  • वाल्मिकी जयंती - महर्षि वाल्मीकि को संस्कृत साहित्य के प्रथम कवि के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने रामायण महाकाव्य की रचना की। उन्हें आदि कवि भी कहा जाता है। वाल्मीकि की जयंती आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है। वह भगवान श्री राम के समकालीन थे और उन्होंने अपने आश्रम में देवी सीता को शरण दी थी, जहां उनके जुड़वां पुत्र लव और कुश का जन्म हुआ था। वाल्मीकि का प्रारंभिक जीवन एक डाकू के रूप में था, लेकिन देवर्षि नारद मुनि के परामर्श से उन्होंने राम नाम का जाप करते हुए तपस्या की और महर्षि वाल्मीकि बन गए।
  • मीराबाई जयंती - मीरा बाई एक महान हिन्दु कवि और भगवान श्री कृष्ण की भक्त थीं। उनका जन्म 1498 में राजस्थान के कुडकी गांव में हुआ था और उनका विवाह चित्तौड़ के राजा भोज राज से हुआ था। मीरा बाई ने भगवान श्री कृष्ण को अपना प्रियतम माना और उनकी भक्ति में जीवन समर्पित किया। उन्होंने लगभग 1300 कविताएं लिखीं जो भगवान श्री कृष्ण की स्तुति में हैं। मीरा बाई की जयंती शरद पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, हालांकि ऐतिहासिक साक्ष्यों पर एकरूपता नहीं मिलती। उनकी मृत्यु 1547 में हुई थी और प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, वह चमत्कारिक रूप से कृष्ण की छवि में विलीन हो गई थीं।
  • आश्विन पूर्णिमा - आश्विन पूर्णिमा हिन्दुओं के लिए एक शुभ तिथि है, जो शरद ऋतु में आती है। इस दिन चन्द्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ प्रकाशित होता है और दूध-चावल की खीर बनाकर चन्द्रमा की किरणों में रखी जाती है, जिससे उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं। आश्विन पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या कोजागर लक्ष्मी पूजा भी कहा जाता है, जिसमें देवी लक्ष्मी की आराधना की जाती है। इस रात जागरण करने वालों को माता लक्ष्मी धन-धान्य और सुख-सम्पत्ति प्रदान करती हैं।

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