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22 से 31 अक्टूबर 2025 व्रत-त्योहार

22 से 31 अक्टूबर 2025 व्रत-त्योहार

October 2025 Fourth Week Vrat Tyohar: 22 से 31 अक्टूबर चौथे हफ्ते में पड़ेंगे ये त्योहार, देखें लिस्ट

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से अक्टूबर साल का 10वां महीना होता है। अक्टूबर का चौथा हफ्ता विभिन्न त्योहारों और उत्सवों से भरा हुआ है। इस हफ्ते में कई महत्वपूर्ण त्योहार पड़ेंगे। जिनमें गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा, भैया दूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्त पूजा, लाभ पंचमी और अन्य शामिल हैं। ये त्योहार न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं, बल्कि हमारे जीवन को अध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों से भी भर सकते हैं। आइए इस आर्टिकल में अक्टूबर के चौथे हफ्ते में पड़ने वाले इन महत्वपूर्ण त्योहारों के बारे में जानते हैं और उनके धार्मिक महत्व को समझते हैं।

22 से 31 अक्टूबर 2025 के व्रत-त्यौहार

  • 22 अक्टूबर 2025 - गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा, गुजराती नया साल
  • 23 अक्टूबर 2025 - भैया दूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्त पूजा
  • 24 अक्टूबर 2025 - कोई व्रत या त्योहार नहीं है। 
  • 25 अक्टूबर 2025 - नागुला चविथी, विनायक चतुर्थी
  • 26 अक्टूबर 2025 - लाभ पंचमी
  • 27 अक्टूबर 2025 - सूर सम्हारम, छठ पूजा
  • 28 अक्टूबर 2025 - कोई व्रत या त्योहार नहीं है। 
  • 29 अक्टूबर 2025 - कोई व्रत या त्योहार नहीं है। 
  • 30 अक्टूबर 2025 - गोपाष्टमी, मासिक दुर्गाष्टमी
  • 31 अक्टूबर 2025 - अक्षय नवमी, जगद्धात्री पूजा

22 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

22 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • बुधवार का व्रत - आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित है।
  • गोवर्धन पूजा - गोवर्धन पूजा आमतौर पर दीवाली के अगले दिन मनाई जाती है, जो भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्र देवता को पराजित करने के उपलक्ष्य में है। यह कार्तिक माह की प्रतिपदा तिथि के दौरान मनाया जाता है और इसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन विभिन्न अनाज, कढ़ी और सब्जियों से बने भोजन को भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है। महाराष्ट्र में इसे बालि प्रतिपदा या बालि पड़वा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भगवान वामन की राजा बालि पर विजय का पुण्यस्मरण किया जाता है। गोवर्धन पूजा का दिन गुजराती नव वर्ष के दिन के साथ भी मिल सकता है, जो कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है।
  • अन्नकूट पूजा - गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के अनाज, सब्जियों और व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। इस दिन गेहूं, चावल, बेसन की कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है। यह पूजा भगवान कृष्ण की पूजा के साथ-साथ प्रकृति और अन्न की महत्ता को भी दर्शाती है।
  • बलि प्रतिपदा - बलि पूजा, जिसे बलि प्रतिपदा भी कहा जाता है, कार्तिक प्रतिपदा के दिन मनाई जाती है, जो दीवाली के अगले दिन होती है। यह पूजा दानव राजा बलि को समर्पित है, जिन्हें भगवान विष्णु ने पाताल लोक में भेज दिया था लेकिन उन्हें तीन दिन के लिए पृथ्वी पर आने की अनुमति दी थी। ऐसी मान्यता है कि राजा बलि इस दौरान अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। बलि पूजा में राजा बलि और उनकी पत्नी विन्ध्यावली की छवि को पाँच रंगों से सजाकर पूजा की जाती है। दक्षिण भारत में राजा बलि की पूजा ओणम उत्सव के दौरान भी की जाती है, जिसकी अवधारणा उत्तर भारत में बलि पूजा के समान है।
  • गुजराती नया साल - गुजराती नव वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है, जो अक्सर अन्नकूट पूजा या गोवर्धन पूजा के दिन होता है। इस दिन पुरानी खाता पुस्तकों को बंद कर नई पुस्तकों का शुभारंभ किया जाता है, जिन्हें चोपड़ा कहा जाता है। दीवाली के दौरान लक्ष्मी पूजा में नई चोपड़ाओं का पूजन किया जाता है और लक्ष्मीजी के आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है, जिसे चोपड़ा पूजन कहा जाता है। इस दौरान नई पुस्तकों पर शुभ चिह्न बनाकर वित्तीय वर्ष को लाभदायक बनाने की कामना की जाती है।

23 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

23 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • गुरूवार का व्रत - आज आप गुरूवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित है।
  • भैया दूज - भाई दूज का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों को टीका लगाकर उनके दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन बहनें प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं और भाई को आमंत्रित कर थाली सजाती हैं। भाई का तिलक करके कलावा बांधती हैं और आरती उतारती हैं। भाई अपनी सामर्थ्य के अनुसार बहन को उपहार देते हैं। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन यमुना में स्नान का विशेष महत्व है, जिससे पाप नष्ट होते हैं और आयु व धन में वृद्धि होती है। इस व्रत से बहनों को सौभाग्य और समृद्धि मिलती है। साथ ही भाई यमलोक के भय से मुक्त रहते हैं। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।
  • यम द्वितीया - यम द्वितीया का पर्व कार्तिक माह की द्वितीया तिथि पर मनाया जाता है, जो आमतौर पर दीवाली के दो दिन बाद आता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें भगवान चित्रगुप्त और यमदूतों की भी पूजा शामिल है। यम द्वितीया पूजन के लिए अपराह्न काल सबसे उपयुक्त समय है और पूजन से पहले प्रातःकाल यमुना स्नान करने का सुझाव दिया जाता है। इस दिन को भाई दूज के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों को भोजन कराती हैं और उन्हें दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन बहनों के घर भोजन करने से भाइयों को दीर्घायु प्राप्त होती है। साथ ही बहनों को अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है।
  • चित्रगुप्त पूजा - चित्रगुप्त पूजा कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को मनाई जाती है, जो मुख्यतः कायस्थ समाज द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा-अर्चना की जाती है, जो यमराज के सहायक हैं और जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। चित्रगुप्त पूजा में कलम-दवात और बही-खातों की भी पूजा की जाती है, जिसे मस्याधार पूजा भी कहा जाता है। भगवान चित्रगुप्त को कायस्थ समाज के अधिष्ठाता और कुलदेवता के रूप में पूजा जाता है। उनके प्रमुख मंदिर मध्य प्रदेश के जबलपुर और खजुराहो में हैं। साथ ही उनकी पूजा भारत के अलावा थाईलैंड में भी की जाती है।

24 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

24 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • शुक्रवार का व्रत - आज आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो माता लक्ष्मी को समर्पित है।

25 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

25 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • शनिवार का व्रत - आज आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है।
  • नागुला चविथी - नागुला चविथी पर्व दीपावली अमावस्या के चार दिन बाद कार्तिक मास में मनाया जाता है, जो नाग देवताओं की पूजा के लिए समर्पित है। यह पर्व मुख्यतः विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने बच्चों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए मनाया जाता है, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में। इस दिन लोग जीवित सर्पों की पूजा करते हैं, जो नाग देवताओं के प्रतिनिधि माने जाते हैं। हिंदू धर्म में सर्पों को पूजनीय माना गया है, और नागुला चविथी पूजन में बारह विशिष्ट नागों की पूजा की जाती है। यह पूजा नाग देवताओं को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है।
  • विनायक चतुर्थी - विनायक चतुर्थी हर महीने में दो बार आती है - शुक्ल पक्ष में विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष में संकष्टी चतुर्थी। भाद्रपद महीने में आने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में प्रसिद्ध है। विनायक चतुर्थी को वरद विनायक को भी कहा जाता है, जिसमें भगवान गणेश से आशीर्वाद और मनोकामना की पूर्ति की कामना की जाती है। विनायक चतुर्थी का व्रत करने से भगवान गणेश ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं, जो जीवन में उन्नति और मनवांछित फल प्राप्त करने में मदद करते हैं। इस दिन गणेश पूजा दोपहर के मध्याह्न काल में की जाती है, जो विनायक चतुर्थी के शुभ मुहूर्त के साथ निर्धारित होती है।

26 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

26 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • रविवार का व्रत - आज आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो सूर्य देव को समर्पित है।
  • लाभ पंचमी - लाभ पंचमी को गुजरात में सौभाग्य पंचमी, ज्ञान पंचमी और लाभ पंचम भी कहा जाता है, जो लाभ और सौभाग्य से जुड़ा हुआ है। इस दिन को अत्यधिक शुभ माना जाता है और ये दिन दीवाली उत्सव का समापन होता है। लाभ पंचमी पर पूजा करने से जीवन में लाभ, व्यवसाय में अनुकूलता और परिवार में सौभाग्य की वृद्धि होती है। गुजरात में अधिकांश व्यवसायी इस दिन अपनी व्यावसायिक गतिविधियां पुनः आरंभ करते हैं और इसे गुजराती नववर्ष का पहला कार्य दिवस मानते हैं। इस अवसर पर नए खाता-बही का उद्घाटन किया जाता है, जिसमें बायीं ओर 'शुभ' और दायीं ओर 'लाभ' लिखकर साथ ही केंद्र में स्वस्तिक बनाकर शुभारंभ किया जाता है।

27 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

27 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • सोमवार का व्रत - आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है।
  • छठ पूजा - छठ पूजा भगवान सूर्य की आराधना का पर्व है, जो ऊर्जा और जीवन-शक्ति के देवता हैं। इस पावन अवसर पर भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना करने से समृद्धि, प्रगति और कल्याण की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को सूर्य षष्ठी, छठ, छठी, डाला पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है, जो इस पर्व की विविधता और महत्व को दर्शाता है। इस पूजा के माध्यम से भक्त भगवान सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
  • स्कंद षष्ठी - भगवान स्कन्द तमिल हिंदुओं के एक प्रमुख देवता हैं, जो भगवान शिव-पार्वती के पुत्र और भगवान गणेश के छोटे भाई हैं। उन्हें मुरुगन, कार्तिकेय और सुब्रह्मण्य के नाम से भी जाना जाता है। भगवान स्कन्द को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा विशेष रूप से दक्षिण भारत में व्यापक रूप से की जाती है। उनकी भक्ति और आराधना से भक्तों को आध्यात्मिक और शारीरिक बल की प्राप्ति होती है।

28 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

28 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

  • मंगलवार का व्रत - आज आप मंगलवार का व्रत रख सकते हैं, जो हनुमान जी को समर्पित है।

29 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

29 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

  • बुधवार का व्रत - आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित है।

30 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

30 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

  • गुरूवार का व्रत - आज आप गुरूवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित है।
  • गोपाष्टमी - गोपाष्टमी का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो मथुरा, वृन्दावन और ब्रज क्षेत्र में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस दिन भगवान कृष्ण ने इन्द्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊँगली पर उठाया था। गोपाष्टमी के दिन इन्द्र देव ने अपनी पराजय स्वीकार की थी। इस त्योहार पर गायों और उनके बछड़ों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है, जो गायों के प्रति सम्मान और आभार का प्रतीक है। महाराष्ट्र में इसे गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। गोपाष्टमी का पर्व गायों के महत्व और उनकी पूजा की परंपरा को दर्शाता है।
  • मासिक दुर्गाष्टमी - हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्गाष्टमी का उपवास किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु दुर्गा माता की पूजा करते हैं और पूरे दिन का व्रत रखते हैं। मुख्य दुर्गाष्टमी, जिसे महाष्टमी कहते हैं, आश्विन माह के शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान पड़ती है। इस दिन को दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है और मासिक दुर्गाष्टमी को मास दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत और पूजा से भक्त दुर्गा माता की कृपा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति और शक्ति की कामना करते हैं।

31 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

31 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

  • शुक्रवार का व्रत - आज आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो माता लक्ष्मी को समर्पित है।
  • अक्षय नवमी - अक्षय नवमी कार्तिक शुक्ल नवमी को मनाया जाता है, जो देवउठनी एकादशी से दो दिन पहले आता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन सत्ययुग का आरंभ हुआ था, इसलिए इसे सत्य युगादि भी कहा जाता है। इस दिन दान-पुण्य के कार्यों का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि इसका पुण्यफल कभी कम नहीं होता और अगले जन्मों में भी प्राप्त होता है। अक्षय नवमी का महत्व अक्षय तृतीया के समान है, जो त्रेतायुग का आरंभ है। इस दिन मथुरा-वृन्दावन की परिक्रमा करना विशेष रूप से पुण्यदायी माना जाता है। अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है, जिसमें आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। पश्चिम बंगाल में इसे जगद्धात्री पूजा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें सत्ता की देवी जगद्धात्री की पूजा की जाती है।

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