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8 से 14 अक्टूबर 2025 व्रत-त्योहार

8 से 14 अक्टूबर 2025 व्रत-त्योहार

October 2025 Second Week Vrat Tyohar: अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें लिस्ट

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से अक्टूबर साल का 10 वां महीना होता है। अक्टूबर का दूसरा हफ्ता विभिन्न व्रत और त्योहारों के मामले में सामान्य रहने वाला है। इस हफ्ते में करवा चौथ, अहोई अष्टमी, कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी जैसे व्रत और त्योहार है। 8 सितंबर से कार्तिक मास प्रारंभ हो रहा है। आइए इस आर्टिकल में अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में पड़ने वाले इन महत्वपूर्ण त्योहारों के बारे में जानते हैं। साथ ही उनके धार्मिक महत्व को समझते हैं।

8 से 14 अक्टूबर 2025 के व्रत-त्यौहार

  • 8 अक्टूबर 2025 - कार्तिक मास प्रारंभ 
  • 9 अक्टूबर 2025 - कोई व्रत या त्योहार नहीं 
  • 10 अक्टूबर 2025 - करवा चौथ, मासिक कार्तिगाई, वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी
  • 11 अक्टूबर 2025 - कोई व्रत या त्योहार नहीं 
  • 12 अक्टूबर 2025 - कोई व्रत या त्योहार नहीं 
  • 13 अक्टूबर 2025 - अहोई अष्टमी, राधा कुण्ड स्नान, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
  • 14 अक्टूबर 2025 - कोई व्रत या त्योहार नहीं 

8 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

  • बुधवार का व्रत - आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित है। 
  • कार्तिक मास प्रारंभ - हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस महीने में भगवान विष्णु अपने लंबे विश्राम के बाद जागते हैं। इस मास में भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने से सभी तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करना या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करना पुण्यदायी माना जाता है, जिसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है। इसके अलावा, इस मास में भजन-कीर्तन, दीपदान और तुलसी की पूजा-अर्चना करना भी शुभ माना जाता है। कार्तिक मास में करवा चौथ, दिवाली और भाई दूज जैसे प्रमुख पर्व भी मनाए जाते हैं।

9 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

9 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • गुरूवार का व्रत - आज आप गुरूवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। 

10 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

10 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • शुक्रवार का व्रत - आज आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो माता लक्ष्मी को समर्पित है। 
  • करवा चौथ - करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, हालांकि अमांत पंचांग का पालन करने वाले क्षेत्रों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में इसे आश्विन माह में माना जाता है। यह अंतर केवल माह के नाम का होता है, जबकि तिथि सभी जगह एक ही रहती है। करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी एक ही दिन पड़ते हैं और दोनों का धार्मिक महत्व जुड़ा होता है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए सूर्योदय से चंद्रमा दर्शन तक बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा की जाती है और व्रत चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही खोला जाता है। मिट्टी के करवा (करक) का इस व्रत में विशेष महत्व होता है, जिससे चंद्रमा को जल चढ़ाया जाता है और पूजा के बाद इसे ब्राह्मण या किसी सुहागन को दान दिया जाता है। करवा चौथ को कुछ स्थानों पर करक चतुर्थी भी कहा जाता है।
  • मासिक कार्तिगाई - कार्तिगाई दीपम तमिल हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्राचीन और प्रमुख त्योहार है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन शाम के समय घरों और गलियों में तेल के दीप एक पंक्ति में जलाए जाते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय और आलोकित हो उठता है। यह पर्व कृत्तिका या कार्तिकाई नक्षत्र के प्रभावी होने पर मनाया जाता है और इसी नक्षत्र के नाम से इसका नाम भी लिया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु को अपनी श्रेष्ठता दिखाने के लिए स्वयं को एक अनन्त प्रकाश ज्योति में परिवर्तित कर लिया था। यद्यपि कार्तिगाई का पालन हर महीने किया जाता है, लेकिन कार्तिकाई माह में आने वाला कार्तिगाई दीपम सबसे विशेष माना जाता है। तिरुवन्नामलई की पहाड़ी पर इस अवसर पर एक विशाल दीप जलाया जाता है, जिसे महादीपम कहा जाता है और यह कई किलोमीटर दूर से दिखाई देता है। इस पर्व के दौरान हज़ारों श्रद्धालु वहां एकत्र होते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं।
  • वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी - कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को वक्रतुण्ड संकष्टी व्रत मनाया जाता है, जिसमें भगवान गणेश के वक्रतुण्ड स्वरूप की पूजा की जाती है। गणेश जी के अष्टविनायक रूपों में पहला स्वरूप वक्रतुण्ड माना जाता है, जिनका अर्थ है टेढ़ी सूंड या टेढ़े मुख वाले गणेश। मुद्गल पुराण सहित कई धर्मग्रंथों में इन रूपों का विस्तृत वर्णन मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, मत्सरासुर नामक दैत्य का वध करने के लिए गणेश जी ने वक्रतुण्ड रूप धारण किया था और अंततः उसे पराजित कर क्षमा याचना के पश्चात् जीवन दान दिया।

11 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

11 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • शनिवार का व्रत - आज आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो शनि देव को समर्पित है। 

12 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

12 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • रविवार का व्रत - आज आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो सूर्य देव को समर्पित है। 

13 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

13 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • सोमवार का व्रत - आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है।
  • अहोई अष्टमी - अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपने पुत्रों की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं, जिसमें वे उषाकाल (भोर) से लेकर गोधूलि बेला (सायंकाल) तक कठोर उपवास रखती हैं। इस व्रत का पारण आकाश में तारों के दर्शन के बाद किया जाता है, हालांकि कुछ महिलाएं चंद्रमा के दर्शन के उपरांत व्रत खोलती हैं, लेकिन चंद्रोदय देर से होने के कारण यह कठिन होता है। यह पर्व करवा चौथ के चार दिन बाद और दीवाली से आठ दिन पहले आता है, जो उत्तर भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय है। अष्टमी तिथि को किए जाने के कारण इसे अहोई आठें भी कहा जाता है। करवा चौथ की तरह ही यह व्रत भी निर्जल उपवास के रूप में मनाया जाता है और संध्या समय तारे दिखाई देने पर ही इसका पारण किया जाता है। 
  • राधा कुण्ड स्नान - अहोई अष्टमी के दिन राधाकुण्ड में स्नान करना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पावन माना जाता है। विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए जिन्हें गर्भधारण में कठिनाई होती है। उत्तर भारतीय पूर्णिमान्त पंचांग के अनुसार यह पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन राधाकुण्ड में डुबकी लगाने से राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और संतान की प्राप्ति में सफलता मिलती है। हर वर्ष हज़ारों दंपत्ति इस आस्था के साथ गोवर्धन पहुंचते हैं और मध्यरात्रि के निशिता काल में डुबकी लगाते हैं, जिसे सबसे शुभ समय माना गया है। दंपत्ति कुष्मांडा (कच्चा सफेद पेठा) को लाल वस्त्र में सजाकर जल में राधा रानी को अर्पित करते हैं, ताकि उनकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण हो। जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है, वे दोबारा राधाकुण्ड आकर डुबकी लगाते हैं और आभार प्रकट करते हैं।
  • कालाष्टमी - कालाष्टमी, हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है और यह भगवान कालभैरव की पूजा का प्रमुख दिन होता है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और भैरव स्वरूप की आराधना करते हैं। साल की सबसे महत्वपूर्ण कालाष्टमी को कालभैरव जयंती कहा जाता है, जो उत्तर भारत के पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह और दक्षिण भारत के अमांत पंचांग के अनुसार कार्तिक माह में आती है, हालांकि तिथि एक ही होती है। यह वही दिन माना जाता है जब भगवान शिव ने कालभैरव रूप में अवतार लिया था। इसे भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, व्रत उसी दिन किया जाता है जब अष्टमी तिथि रात्रि में प्रबल हो, भले ही वह सप्तमी से शुरू हो रही हो। 
  • मासिक कृष्ण जन्माष्टमी - प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भक्त मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा कर उनके आशीर्वाद से दुखों से मुक्ति की कामना की जाती है। इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके भगवान कृष्ण की पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। पूजा में फूल, अक्षत, तुलसी दल अर्पित करने के बाद धूप-दीप जलाकर बाल गोपाल की आरती की जाती है। भगवान को माखन-मिश्री और मेवे का भोग अर्पित कर प्रसाद का वितरण करना शुभ माना जाता है।

14 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहार 

14 अक्टूबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

  • मंगलवार का व्रत - आज आप मंगलवार का व्रत रख सकते हैं, जो हनुमान जी को समर्पित है।

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