Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष का चतुर्दशी श्राद्ध, इस मुहूर्त में करें तर्पण और श्राद्ध कर्म की विधि
पितृपक्ष में हर तिथि का अपना विशिष्ट महत्व है और उसी के अनुसार श्राद्ध करने का विधान है। इस क्रम में शनिवार, 20 सितम्बर 2025 को चतुर्दशी श्राद्ध किया जाएगा, जिसे घट चतुर्दशी श्राद्ध, घायल चतुर्दशी श्राद्ध और चौदस श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि विशेष परिस्थितियों में दिवंगत हुए पितरों के श्राद्ध के लिए निर्धारित मानी गई है।
चतुर्दशी श्राद्ध का पंचांग और शुभ मुहूर्त
- कुतुप मुहूर्त – 11:26 एएम से 12:15 पीएम (49 मिनट)
- रौहिण मुहूर्त – 12:15 पीएम से 01:04 पीएम (49 मिनट)
- अपराह्न काल – 01:04 पीएम से 03:30 पीएम (2 घंटे 26 मिनट)
- चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – 20 सितम्बर 2025 को रात 12:06 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त – 21 सितम्बर 2025 को रात 12:46 बजे
इनमें से कुतुप और रौहिण मुहूर्त श्राद्ध के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं। यदि इन मुहूर्तों में श्राद्ध संभव न हो, तो अपराह्न काल में भी श्राद्ध करना शास्त्रसम्मत है।
चतुर्दशी श्राद्ध का महत्व
चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध केवल उन्हीं पितरों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु असामान्य परिस्थितियों में हुई हो।
- हथियार से मृत्यु
- दुर्घटना में मृत्यु
- हत्या या आत्महत्या से मृत्यु
शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि सामान्य मृत्यु वाले पितरों का श्राद्ध चतुर्दशी को नहीं किया जाता। यदि किसी व्यक्ति का निधन अन्य सामान्य कारणों से हुआ हो और तिथि चतुर्दशी रही हो, तो उनका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है। इसीलिए इसे विशेष परिस्थितियों का श्राद्ध माना जाता है।
श्राद्ध की विधि
- प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और संकल्प लें।
- पितरों का ध्यान करते हुए तिल, कुश, जल और पुष्प से तर्पण करें।
- चावल, तिल और जौ से पिंडदान करें।
- विशेष रूप से दिवंगत आत्मा की शांति के लिए मंत्रोच्चारण और हवन किया जा सकता है।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा प्रदान करें।
- अंत में गौ, पक्षियों और गरीबों को अन्न दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
धर्मग्रंथों में कहा गया है कि “श्रद्धया क्रियमाणं श्राद्धं पितॄणामनुग्रहमावहति।” अर्थात श्रद्धा से किया गया श्राद्ध पितरों की प्रसन्नता और आशीर्वाद दिलाता है।
क्या करें और क्या न करें
- श्राद्ध के दिन सात्विकता का पालन करें, मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है।
- घर में अशांति, कलह और क्रोध से बचें।
- पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धा, धैर्य और शुद्धता से सभी अनुष्ठान करें।
- जरूरतमंदों, अनाथ बच्चों और पशु-पक्षियों को अन्न दान करना विशेष फलदायी माना गया है।
इन्हें भी पढ़े