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पितृपक्ष 2025 द्वादशी श्राद्ध मुहूर्त

पितृपक्ष 2025 द्वादशी श्राद्ध मुहूर्त

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष का द्वादशी श्राद्ध, इस मुहूर्त में करें तर्पण और श्राद्ध कर्म की विधि

पितृपक्ष में प्रत्येक तिथि का अपना महत्व होता है और उस दिन विशेष श्राद्ध किया जाता है। इस बार द्वादशी श्राद्ध गुरुवार, 18 सितम्बर 2025 को मनाया जाएगा। इसे सामान्य भाषा में बारस श्राद्ध भी कहा जाता है। यह दिन उन पितरों के लिए समर्पित है जिनका निधन द्वादशी तिथि को हुआ हो। शास्त्रों में यह भी उल्लेख मिलता है कि जो लोग मृत्यु से पूर्व संन्यास ग्रहण करते हैं, उनका श्राद्ध भी द्वादशी तिथि को ही किया जाना चाहिए।

द्वादशी श्राद्ध का पंचांग और मुहूर्त

  • कुतुप मुहूर्त – सुबह 11:27 बजे से दोपहर 12:16 बजे तक (49 मिनट)
  • रौहिण मुहूर्त – दोपहर 12:16 बजे से 01:05 बजे तक (49 मिनट)
  • अपराह्न काल – दोपहर 01:05 बजे से 03:31 बजे तक (2 घंटे 27 मिनट)
  • द्वादशी तिथि प्रारंभ – 18 सितम्बर 2025 को रात 12:09 बजे
  • द्वादशी तिथि समाप्त – 18 सितम्बर 2025 को रात 11:54 बजे

श्राद्ध कर्म के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। यदि इनका पालन संभव न हो तो अपराह्न काल में भी श्राद्ध करना शुभ माना गया है।

द्वादशी श्राद्ध का महत्व

द्वादशी तिथि का संबंध भगवान विष्णु से है। यही कारण है कि इस दिन किया गया श्राद्ध न केवल पितरों को तृप्त करता है, बल्कि भगवान विष्णु की कृपा भी परिवार पर बनी रहती है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी श्रद्धापूर्वक इस दिन तर्पण करता है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है और परिवार से पितृ दोष का निवारण होता है। संन्यास ग्रहण कर मृत्यु को प्राप्त हुए व्यक्तियों के लिए भी यह दिन विशेष माना गया है। मान्यता है कि ऐसे पितरों के लिए किया गया श्राद्ध उन्हें मोक्ष प्राप्त कराने वाला होता है।

श्राद्ध की विधि

द्वादशी श्राद्ध की प्रक्रिया अन्य पार्वण श्राद्धों के समान ही होती है।

  • स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और संकल्प लें।
  • पितरों का ध्यान कर कुश, तिल, जल और अक्षत से तर्पण करें।
  • जौ, चावल और तिल से पिंडदान करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और यथाशक्ति दक्षिणा दें।
  • अंत में पितरों की शांति और परिवार की समृद्धि की कामना करें।

धर्मशास्त्रों में कहा गया है – “श्राद्धेन पितरः तृप्यन्ति, तृप्ताः तु प्रसन्नाः भवन्ति।” यानी श्राद्ध से पितर तृप्त होते हैं और तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।

क्या करें और क्या न करें

  • इस दिन मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से बचें।
  • किसी को दुखी न करें, बल्कि सेवा और दान को प्राथमिकता दें।
  • घर में शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखें।
  • श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना गया है।

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