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पितृपक्ष 2025 त्रयोदशी श्राद्ध मुहूर्त

पितृपक्ष 2025 त्रयोदशी श्राद्ध मुहूर्त

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष का त्रयोदशी श्राद्ध, इस मुहूर्त में करें तर्पण और श्राद्ध कर्म की विधि

पितृपक्ष के दौरान प्रत्येक तिथि का अपना विशेष महत्व होता है। इस क्रम में शुक्रवार, 19 सितम्बर 2025 को त्रयोदशी श्राद्ध किया जाएगा, जिसे सामान्य भाषा में तेरस श्राद्ध कहा जाता है। यह दिन उन पितरों की स्मृति में समर्पित है जिनका निधन त्रयोदशी तिथि को हुआ हो। शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।

त्रयोदशी श्राद्ध का पंचांग और शुभ मुहूर्त

  • कुतुप मुहूर्त – 11:27 एएम से 12:15 पीएम (49 मिनट)
  • रौहिण मुहूर्त – 12:15 पीएम से 01:04 पीएम (49 मिनट)
  • अपराह्न काल – 01:04 पीएम से 03:30 पीएम (2 घंटे 26 मिनट)
  • त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – 18 सितम्बर 2025 को रात 11:54 बजे
  • त्रयोदशी तिथि समाप्त – 20 सितम्बर 2025 को रात 12:06 बजे

इनमें से कुतुप और रौहिण मुहूर्त श्राद्ध कर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। यदि इन मुहूर्तों में श्राद्ध संभव न हो, तो अपराह्न काल में भी श्राद्ध करना उत्तम होता है।

त्रयोदशी श्राद्ध का महत्व

त्रयोदशी तिथि पर किया गया श्राद्ध अन्य तिथियों की तरह ही पुण्यदायी होता है। विशेष रूप से यह दिन उन पितरों के लिए उपयुक्त है जिनकी मृत्यु इसी तिथि को हुई हो।

इस तिथि का एक और महत्व यह है कि यह अकाल में दिवंगत बच्चों के श्राद्ध के लिए भी मान्य है। गुजरात क्षेत्र में इसे काकबली तेरस और बालभोलनी तेरस के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पितरों के साथ-साथ अल्पायु में दिवंगत आत्माओं को भी शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्राद्ध की विधि

  • प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और श्राद्ध का संकल्प लें।
  • पितरों का स्मरण कर जल, तिल, कुश और अक्षत से तर्पण करें।
  • चावल, जौ और तिल से पिंडदान करें।
  • पितरों की आत्मा की शांति हेतु मंत्रोच्चारण और हवन किया जा सकता है।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें और जरूरतमंदों को दान करें।

धर्मशास्त्रों में कहा गया है – “श्राद्धं कुर्वन् पितॄन् तर्पयेत्, तर्पिताः पितरः सुखं ददाति।” अर्थात जो व्यक्ति श्राद्ध करता है, वह पितरों को तृप्त करता है और तृप्त पितर परिवार को सुख-संपत्ति प्रदान करते हैं।

इस दिन क्या करें और क्या न करें

  • श्राद्ध के दिन तामसिक भोजन, मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है।
  • घर में झगड़ा, अपशब्द या किसी को दुख पहुंचाना अशुभ माना जाता है।
  • श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों, गरीबों और पक्षियों को भोजन कराना पुण्यदायी होता है।
  • पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धा, संयम और शुद्धता का पालन करें।

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