पितृपक्ष के दौरान प्रत्येक तिथि का अपना विशेष महत्व होता है। इस क्रम में शुक्रवार, 19 सितम्बर 2025 को त्रयोदशी श्राद्ध किया जाएगा, जिसे सामान्य भाषा में तेरस श्राद्ध कहा जाता है। यह दिन उन पितरों की स्मृति में समर्पित है जिनका निधन त्रयोदशी तिथि को हुआ हो। शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
इनमें से कुतुप और रौहिण मुहूर्त श्राद्ध कर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। यदि इन मुहूर्तों में श्राद्ध संभव न हो, तो अपराह्न काल में भी श्राद्ध करना उत्तम होता है।
त्रयोदशी तिथि पर किया गया श्राद्ध अन्य तिथियों की तरह ही पुण्यदायी होता है। विशेष रूप से यह दिन उन पितरों के लिए उपयुक्त है जिनकी मृत्यु इसी तिथि को हुई हो।
इस तिथि का एक और महत्व यह है कि यह अकाल में दिवंगत बच्चों के श्राद्ध के लिए भी मान्य है। गुजरात क्षेत्र में इसे काकबली तेरस और बालभोलनी तेरस के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पितरों के साथ-साथ अल्पायु में दिवंगत आत्माओं को भी शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
धर्मशास्त्रों में कहा गया है – “श्राद्धं कुर्वन् पितॄन् तर्पयेत्, तर्पिताः पितरः सुखं ददाति।” अर्थात जो व्यक्ति श्राद्ध करता है, वह पितरों को तृप्त करता है और तृप्त पितर परिवार को सुख-संपत्ति प्रदान करते हैं।