विवाह पंचमी के दिन क्या करें, क्या न करें?

Vivah panchami: प्रेम और समर्पण का पर्व है विवाह पंचमी, जानिए क्या करें, क्या न करें


विवाह पंचमी भगवान राम और माता सीता के विवाह का ऐसा पावन अवसर है, जिसे हिंदू धर्म के लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते है।  यह दिन भगवान राम और माता सीता के विवाह के कारण शुभता, प्रेम, और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। अगहन मास की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला ये त्योहार 6 दिसंबर को पड़ रहा है। इस दिन, विवाहित जोड़े अपने वैवाहिक जीवन में खुशी और समृद्धि की कामना करते हुए भगवान राम और माता सीता की पूजा करते हैं। माना जाता है कि विवाह पंचमी पर विशेष पूजा-अर्चना, रामायण पाठ और दान-पुण्य करने से अनेक शुभ फल प्राप्त होते हैं।आइए जानते हैं कि विवाह पंचमी पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं।


विवाह पंचमी पर क्या करें ?


पूजा-अर्चना- इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा-अर्चना करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आप अपने घर में या मंदिर में जाकर विधिवत पूजा करें। उन्हें वस्त्र, फूल, धूप-दीप, और नैवेद्य अर्पित करें। रामायण का पाठ या सुंदरकांड का पाठ करना भी लाभकारी है।

व्रत और दान पुण्य करें- विवाह पंचमी के दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है। इससे भगवान राम और माता सीता की कृपा प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है। वहीं इस दिन दान करना भी पुण्य का काम माना जाता है।आप गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन दान कर सकते हैं।


मंदिर दर्शन और रामचरितमानस का पाठ 


इस दिन श्रीराम और माता सीता के मंदिर जाकर दर्शन करें और अपनी श्रद्धा प्रकट करें।  इसके अलावा रामचरितमानस का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है। इससे मन शांत होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह दिन अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए सबसे उपयुक्त दिन है।


विवाह पंचमी पर क्या न करें?


तामसिक भोजन न करें


विवाह पंचमी के दिन सात्विक भोजन खाना उपयुक्त होता है। इस दिन प्याज, लहसुन खाने से परहेज करें। इसके अलावा  शराब के सेवन से भी बचे। सात्विक भोजन करने से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

 

नकारात्मक विचार लाना 


विवाह पंचमी के दिन अपने अंदर नकारात्मक विचार न लाए।  क्रोध, ईर्ष्या और विवादों से बचेंं। सकारात्मक रहें और अपने जीवन में खुशियां लाएं।यह दिन प्रेम, सामंजस्य, और सकारात्मकता का प्रतीक है।  पूजा और अनुष्ठानों के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। अशुद्ध अवस्था में पूजा करने से उसका फल नहीं मिलता।


अपवित्र स्थानों पर जाने से बचें


विवाह पंचमी के दिन तीर्थ स्थानों या मंदिरों में जाने की परंपरा है। इस दिन अपवित्र स्थानों पर जाने से बचे। अपवित्र जगहों पर जाने से आपके अंदर नकारात्मक विचार आएंगे, जो आपकी शांति को भंग करेंगे।


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हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणो में ।

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