विवाह पंचमी के शुभ संयोग

विवाह पंचमी पर बन रहे हैं ये पांच शुभ संयोग, जानिए कैसे उठाएं इनका लाभ 



विवाह पंचमी का त्योहार भगवान राम और माता सीता के विवाह के पावन अवसर के रूप में मनाया जाता है। लोग इस दिन वैवाहिक जीवन में शांति के लिए भगवान राम और माता सीता की पूजा करते है। 6 दिसंबर को इस साल विवाह पंचमी पड़ रही है। इस साल इसका विशेष महत्व है , क्योंकि सालों बाद इस दिन पर कई दुर्लभ और अद्भुत संयोग बन रहे हैं। जो धार्मिक के साथ साथ ज्योतिष दृष्टिकोण से भी फलदायी है। ऐसा अवसर सालों बाद आ रहा है, जो भगवान राम और माता सीता की कृपा पाने के लिए अत्यंत लाभकारी है। चलिए आपको उन  शुंभ संयगों के बारे में बताते हैं, जो आपके वैवाहिक जीवन में शांति लाएंगे.

विवाह पंचमी पर पड़ने वाले अद्भुत संयोग


सर्वार्थ सिद्धि योग


सर्वार्थ सिद्धि संयोग किसी भी कार्य को सफल बनाने में अत्यंत प्रभावी होता है। इस योग को बेहद दुर्लभ माना जाता है कि, जिसमें आप किसी भी तरह का शुभ कार्य कर सकते हैं।  विवाह पंचमी के दिन इस योग में  पूजा पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। यह योग पूजा को बेहद फलदायी बनाता है।

अमृत सिद्धि योग


अमृत सिद्धि योग को जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। इस संयोग में भगवान राम और माता सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख शांति बनी रहती है।  इसे मोक्ष प्राप्ति का रास्ता भी माना जाता है। वहीं इसे आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी  शुभ माना जाता है।

रवि योग

विवाह पंचमी इस बार रविवार के दिन पड़ रही है। रविवार को सूर्य देव का दिन माना जाता है। इसी के चलते विवाह पंचमी पर इस बार रवि योग बनेगा। इस संयोग में पूजा करने से ऊर्जा, स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त होती है। यह योग व्यक्ति के जीवन में धन, वैभव और यश में वृद्धि करता है।

मूल नक्षत्र संयोग

इस दिन मूल नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस संयोग को वैदिक ज्योतिष में शुभ माना जाता है। विवाह पंचमी के दिन मूल नक्षत्र योग में पूजा करने से आध्यात्मिक साधना और पारिवारिक समृद्धि मिलती है।  व्यक्ति अपने वैवाहिक जीवन में खुश रहता है।

गजकेसरी संयोग 

विवाह पंचमी के दिन इस बार गजकेसरी संयोग भी बन रहा है।यह संयोग बेहद दुर्लभ होता है और चंद्रमा और बृहस्पति की स्थिति से बनता है। इस योग में पूजा करने से जीवन में योग धन, समृद्धि और वैभव आता है और वैवाहिक जीवन में समृद्धि आती है।

इन संयोगों का लाभ कैसे लें?


  • भगवान राम और माता सीता की विशेष पूजा-अर्चना करें।
  • रामचरितमानस के "बालकांड" और "विवाह प्रसंग" का पाठ करें।
  • जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
  • शिव-पार्वती की पूजा करें और "ऊँ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।

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भगवान परशुराम की पूजा कैसे करें?

भगवान परशुराम का जन्म राजा जीमूतवाहन और उनकी पत्नी रेणुका के घर हुआ था। वे ब्राह्मण कुल से थे, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र में शस्त्र-विद्या का ज्ञान और युद्धकला का अभ्यास था। उन्हें भगवान विष्णु के दशावतार में एक माना जाता है। परशुराम जी ने भगवान शिव से भी शिक्षा ली थी।

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