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5 March 2025 Panchang (5 मार्च 2025 का पंचांग)

5 March 2025 Panchang (5 मार्च 2025 का पंचांग)

Aaj Ka Panchang: आज 5 मार्च  2025 का शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह



Aaj Ka Panchang 05 march 2025: पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी तिथि है। वहीं आज बुधवार का दिन है। इस तिथि पर कृत्तिका नक्षत्र और विष्कुम्भ योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा वृषभ राशि में संचार कर रहे हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं। आपको बता दें, आज बुधवार के दिन अभिजीत मुहूर्त का योग नहीं है। इस दिन राहुकाल दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 05 मिनट तक है। आज तिथि के हिसाब से आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा विधिवत रूप से करें। वहीं आज षष्ठी और सप्तमी तिथि के दिन मासिक कार्तिगई का व्रत भी है। यह व्रत भी भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज बुधवार के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से भाग्योदय हो सकता है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है और आज के दिन किन मंत्रों का जाप करने से लाभ हो सकता है। 



आज का पंचांग 05 मार्च 2025


  • तिथि - फाल्गुन माह की षष्ठी और सप्तमी तिथि
  • नक्षत्र - कृत्तिका नक्षत्र
  • दिन/वार - बुधवार 
  • योग - विष्कुम्भ योग
  • करण - तैतिल और गर



सूर्य-चंद्र गोचर 05 मार्च  2025


5 मार्च को सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर चंद्रमा वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे और गुरु के साथ गजकेसरी राजयोग का निर्माण करेंगे। इस योग का ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्व है और इसका सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ेगा।


  • वृश्चिक राशि- गजकेसरी योग एक शुभ योग है जो कुंडली में गुरु और चंद्रमा की विशेष स्थिति से बनता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस योग का विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है, और वृश्चिक राशि के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है।
  • मीन राशि- गजकेसरी योग एक शुभ योग है जो मीन राशि वालों के लिए कई तरह के लाभ लेकर आता है। इस योग के दौरान मीन राशि के जातकों को धन, समृद्धि, सफलता और खुशियां मिलने की संभावना है।



सूर्य और चंद्रमा का समय


  • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 48 मिनट से लेकर
  • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 27 मिनट तक
  • चंद्रोदय - 05 मार्च को सुबह 10 बजकर 19 मिनट से लेकर
  • चंद्रास्त - 06 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट तक



आज का शुभ मुहूर्त और योग 05 मार्च 2025


  • सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 01 बजकर 08 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 47 मिनट तक। 
  • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 13 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 13  मिनट तक।
  • अमृत काल - रात 10 बजकर 52 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 22 मिनट तक।
  • अभिजीत मुहूर्त - नहीं है।
  • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 10  मिनट से लेकर  03 बजकर 03 मिनट तक।
  • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 41 मिनट तक।
  • निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 17 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 09 मिनट तक।
  • संध्या मुहूर्त - शाम 6 बजकर 16 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 21 मिनट तक।



आज का अशुभ मुहूर्त 05 मार्च 2025


  • राहु काल - दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 05 मिनट तक
  • गुलिक काल - सुबह 11 बजकर 10 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 38 मिनट तक
  • यमगंड -  सुबह 08 बजकर 16 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 43 मिनट तक।
  • दिशाशूल - उत्तर दिशा, दिशाशूल में इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
  • दुर्मुहूर्त  - दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 01 मिनट तक।



पर्व और त्योहार  05 मार्च 2025


  • 05 मार्च 2025 व्रत - बुधवार व्रत और मासिक कार्तिगई



आज का उपाय  05 मार्च 2025


03 मार्च को कृत्तिका नक्षत्र और विष्कुम्भ योग का दिव्य संयोग है। इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि और सूर्य कुंभ राशि में गोचर करते हुए शुभ योग बना रहे हैं। आज बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा विधिवत रूप से करें। बुधवार के दिन सुबह स्नान करके गणेश जी की प्रतिमा को स्वच्छ करें। उन्हें दूर्वा, मोदक और फूल अर्पित करें।

गणेश मंत्रों का जाप करें और आरती करें। आज बुध ग्रह के मंत्रों का जाप करें।



05 मार्च 2025 आज के पंचांग का महत्व


आज कृत्तिका नक्षत्र है, जो कि बहुत ही शुभ नक्षत्र माना जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी तिथि है। आज बुधवार का दिन है। आज भगवान गणेश की पूजा विधिवत रूप से करें। साथ ही आज बुधवार के दिन हरी वस्तुओं का दान करें, जैसे कि हरी सब्जियां, हरा वस्त्र या मूंग दाल। बुधवार के दिन गाय को हरी घास खिलाएं।


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माता भुवनेश्वरी की पूजा विधि

माता भुवनेश्वरी हिंदू धर्म में पूजी जाने वाली एक प्रमुख देवी हैं, जिन्हें ब्रह्मांड की रानी और सृजन की देवी के रूप में जाना जाता है। उनका नाम "भुवनेश्वरी" दो शब्दों से मिलकर बना है - "भुवन" जिसका अर्थ है ब्रह्मांड और "ईश्वरी" जिसका अर्थ है स्वामिनी।

मां ललिता की पूजा विधि

मां ललिता, जिन्हें त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। वे शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं और ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।

माता चंडी की पूजा विधि

मां चंडी जो विशेष रूप से शक्ति, दुर्गा और पार्वती के रूप में पूजी जाती हैं। उनका रूप रौद्र और उग्र होता है, और वे शत्रुओं का नाश करने वाली, बुराई का विनाश करने वाली और संसार को शांति देने वाली देवी के रूप में पूजा जाती हैं।

मां काली की पूजा विधि

मां काली को शक्ति, विनाश और परिवर्तन की प्रतीक हैं। उन्हें दुर्गा का एक रूप माना जाता है और वे दस महाविद्याओं में से एक हैं। मां काली का रूप उग्र और भयानक है, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए सुरक्षा प्रदान करती हैं।

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