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भगवान सूर्य को क्यों देते हैं अर्घ्य

भगवान सूर्य को क्यों देते हैं अर्घ्य

सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे छिपा है ये वैज्ञानिक महत्व, जानिए जल चढ़ाने का सही समय 


सनातन धर्म में सूर्य देव हमारे आराध्य और साक्षात देवता के रूप में पूजे जाते हैं। नवग्रह में शामिल, ऊर्जा और प्रकाश के देवता सूर्य की आराधना का विशेष महत्व हमारे शास्त्रों में वर्णित है। सूर्योदय के समय सूर्य देवता को जल चढ़ाना सूर्य देव की पूजा का सबसे आसान और प्रचलित तरीका हैं। धार्मिक परंपरा के अनुसार सूर्योदय के समय सूर्य देवता को जल चढ़ाने से व्यक्ति को सौभाग्य और तेज की प्राप्ति होती है। इसलिए हिंदू धर्म में सूर्य को अर्घ्य देना एक पुण्यकारी कर्म है। माना गया है कि सुबह-सुबह सूर्य देव को जल अर्पित करने के और भी कई लाभ हैं। तो आइए जानते हैं हिन्दू परंपराओं में सूर्य  देव को अर्घ्य देने यानी जल चढ़ाने का क्या है महत्व और क्या है इसके लाभ।


सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लाभ 


  • सूर्यदेव को अर्घ्य देने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है।
  • प्रतिदिन सूर्य देवता की उपासना करने से अन्य ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचाव होता है और ग्रह मजबूत होते हैं। 
  • सूर्य देव को जल चढ़ाने से जीवन में मौजूद नकारात्मकता दूर हो जाती हैं और मन में सकारात्मकता का संचार होता है।
  • इससे कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती हैं और तरक्की के योग बनते हैं। इसके साथ ही जीवन के सभी कष्ट भी दूर होते हैं। 
  • भगवान सूर्य को रोजाना जल अर्पित करने से काया निरोगी रहती है।
  • सूर्य को जल चढ़ाने से मन, आत्मा शुद्ध होती है और शरीर में ऊर्जा आती है। 


सूर्य को अर्घ्य चढ़ाने का महत्व 


ज्योतिष शास्त्र में सूर्य एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रह हैं और यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होगी तो धन-सम्पदा, सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और वैभव सभी की प्राप्ति होती है। 


सूर्य  देव को जल चढ़ाने का सही समय


सूर्य देव को सूर्योदय के एक घंटे बाद तक जल चढ़ाया जा सकता है। यह सूर्य को अर्घ्य देने का सर्वश्रेष्ठ समय है। जल चढ़ाने के लिए सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 6 बजकर 45 मिनट तक का समय सबसे उत्तम माना गया है। यदि आप रोजाना सूर्य देव को जल अर्पित करने में असमर्थ हैं, तो आप रविवार के दिन भी सूर्य को जल अर्पित जरूर करें। क्योंकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार रविवार का दिन सूर्य देव का दिन है।


ऐसे करें जल अर्पण 


  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें।
  • इसके बाद सूर्य देव एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल रंग के फूल, कुमकुम और थोड़े-से अक्षत यानी अखंडित चावल भी डाल कर जल चढ़ाएं।
  • सूर्य को अर्घ्य देते समय मन-ही-मन ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करें।


ध्यान रखें ये नियम


  • सूर्य को जल बिना नहाए कभी नहीं देना चाहिए।
  • सूर्य को जल हमेशा तांबे के लोटे से चढ़ाएं।
  • सूर्य देव जल चढ़ाते समय आपका मुख पूर्व की दिशा में होना चाहिए। 
  • तांबे के लोटे को कुछ इस प्रकार पकड़ें कि आपका हाथ सिर से ऊपर रहे।
  • विशेष ध्यान रखें कि जल चढ़ाते समय सूर्य की रोशनी जल को पार कर आपके शरीर पर पड़े।


सूर्य देव को जल देने का वैज्ञानिक महत्व


  • सूर्य देव को जल चढ़ाते वक्त हमारा हाथ सिर से ऊपर रहे यह बात वैज्ञानिक महत्व की भी है क्योंकि जब हम जल की धाराओं में से सूर्य की ओर देखते हैं तो उससे निकलने वाली 7 तरह की गुणकारी किरणें हमारी आंखों पर पड़ती हैं जो ज्योति बढ़ाने वाली होती है।
  • आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ यह किरणें जब जल से पार होकर हमारे शरीर पर पड़ती है जो यह हमें निरोगी काया का लाभ देती है।
  • सूर्य को जल चढ़ाने से विटामिन डी हमारे शरीर को मिलता है। सुबह की पहली किरण सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है।
  • सूर्य को जल चढ़ाने से ह्रदय स्वस्थ रहता है। जल चढ़ाते समय सूर्य की रोशनी सीधे हृदय पर पड़ती है जो गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करती है।
  • सूर्य को जल चढ़ाने से त्वचा रोगों से भी मुक्ति मिलती है।

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