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प्राचीन भारतीय परंपराओं और आयुर्वेद में आहार का सीधा संबंध ऋतु और शरीर की ज़रूरतों से बताया गया है। भारतीय संस्कृति के अभ्यासी और भारतीय संस्कृति के जानकार पंडित डॉ. राजनाथ झा इस विषय पर बताते हैं कि हर महीने के अनुसार आहार का चयन करना न केवल शरीर के स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक संतुलन के लिए भी आवश्यक है। भारत के हर महीने में बदलते मौसम के अनुसार हमारा आहार भी बदलना चाहिए, जिससे हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता और पाचन शक्ति मजबूत बनी रहे। आइए, जानते हैं पंडित डॉ. राजनाथ झा द्वारा बताए गए 12 महीनों के अनुसार आहार के यम नियम।
चैत्र माह में मौसम में बदलाव होता है, सर्दी समाप्त होती है और गर्मी का आरंभ होता है। इस समय शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखने की आवश्यकता होती है।
-आहार : इस महीने में चने का सेवन अत्यंत लाभकारी है। चना रक्त को शुद्ध करने और रक्त संचार में सुधार करने में मदद करता है।
- विशेष टिप: इस दौरान आप रोजाना 4-5 कोमल नीम की पत्तियों का सेवन भी करें। नीम की पत्तियाँ शरीर के दोषों को शांत करती हैं और संक्रमण से बचाव करती हैं।
वैशाख में गर्मी और अधिक हो जाती है। इस महीने शरीर को ठंडक देने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- आहार : बेल के शरबत का सेवन करना चाहिए, जो शरीर को ठंडक और तरावट प्रदान करता है।
- विशेष टिप : इस महीने तेल से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें, क्योंकि यह शरीर को अस्वस्थ बना सकता है।
ज्येष्ठ में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है, और शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इस महीने में शरीर को ठंडक पहुँचाना महत्वपूर्ण है।
- आहार : ठंडी छाछ, लस्सी, ज्यूस, और भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करें।
- विशेष टिप : दोपहर में थोड़ी देर सोना लाभकारी होता है, लेकिन गरिष्ठ भोजन, बासी खाना, और गर्म पदार्थों का सेवन न करें।
इस महीने में मानसून की शुरुआत होती है, और पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है।
- आहार : इस महीने आम, पुराने गेंहू, सत्तू, जौ, भात, खीर, और ठंडे पदार्थ जैसे ककड़ी, पलवल, करेला का सेवन करें।
- विशेष टिप : गर्म प्रकृति के खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि ये शरीर में अतिरिक्त गर्मी पैदा कर सकते हैं।
श्रावण में वर्षा ऋतु का प्रभाव होता है, जिससे पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है।
- आहार : हल्का सुपाच्य भोजन करें। पुराने चावल, पुराने गेंहू, खिचड़ी, दही आदि का सेवन करें।
- विशेष टिप : हरी सब्जियों और दूध का सेवन कम करें। हरड का सेवन लाभकारी हो सकता है।
भाद्रपद में भी वर्षा का प्रभाव जारी रहता है, इसलिए पाचन शक्ति पर ध्यान देना आवश्यक है।
- आहार : हल्का और सुपाच्य भोजन करें। इस समय आपकी जठराग्नि मंद हो जाती है, इसलिए भोजन ऐसा हो जो आसानी से पच सके।
आश्विन महीने में शरीर की जठराग्नि तेज हो जाती है, जिससे भारी भोजन भी पच सकता है।
- आहार : इस महीने दूध, घी, गुड़, नारियल, मुनक्का, गोभी आदि का सेवन कर सकते हैं।
- विशेष टिप : गरिष्ठ भोजन का सेवन इस महीने में लाभकारी होता है।
कार्तिक में ठंड की शुरुआत होती है, और शरीर को ऊष्मा की आवश्यकता होती है।
- आहार : गरम दूध, गुड़, घी, मुली आदि का सेवन करें।
- विशेष टिप : ठंडे पेय पदार्थ जैसे छाछ, लस्सी, ठंडा दही और ठंडे फलों के रस से बचें।
अगहन में सर्दियों की तीव्रता बढ़ने लगती है, इसलिए शरीर को गर्म रखने वाले आहार की आवश्यकता होती है।
- आहार : इस महीने ठंडी और अत्यधिक गरम वस्तुओं का सेवन न करें।
पौष में सबसे ठंडी ऋतु होती है, इसलिए शरीर को ऊर्जा और ऊष्मा देने वाले आहार का सेवन करें।
- आहार : दूध, खोया, गुड़, तिल, घी, आलू, आंवला, गौंद के लड्डू आदि का सेवन करें।
- विशेष टिप : ठंडे पदार्थ, पुराना अन्न, कटु और रुक्ष भोजन से बचें।
माघ महीने में भी सर्दी जारी रहती है, इसलिए शरीर को गर्म रखने वाले आहार का सेवन करें।
- आहार : इस महीने घी, नए अन्न, गौंद के लड्डू आदि का सेवन लाभकारी होता है।
फाल्गुन में मौसम बदलने लगता है और गर्मी की शुरुआत होती है।
- आहार : इस महीने गुड़ का सेवन करें।
- विशेष टिप : इस महीने चने का सेवन न करें और सुबह योग व स्नान का नियम अपनाएँ।
पंडित डॉ. राजनाथ झा के अनुसार, हर ऋतु और माह के अनुसार आहार का चयन करना न केवल स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह शरीर को हर मौसम में संतुलन में रखता है। इन आहार नियमों का पालन कर आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। आहार के ये यम नियम मानव शरीर को हर ऋतु और मौसम में स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए ही बनाए गए हैं। इनका पालन कर आप भी अपने स्वास्थ्य को उत्तम बना सकते हैं।
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