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चैत्र मासिक शिवरात्रि कब है

चैत्र मासिक शिवरात्रि कब है

March Shivratri 2025: चैत्र माह में कब पड़ेगी मासिक शिवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और विशेष मंत्र


हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार चैत्र के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 मार्च 2025 को रात 11:03 बजे तक रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी। चतुर्दशी तिथि 28 मार्च 2025 को शाम 7:55 बजे तक रहेगी।

पूजा विधि 


स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। अगर आप व्रत रखना चाहते हैं तो हाथ में पवित्र जल, फूल और चावल लेकर व्रत का संकल्प लें। फिर शाम के समय अपने घर के मंदिर में दीपक जलाएं। फिर शिव मंदिर या घर पर भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की विधिवत पूजा करें। अब मासिक शिवरात्रि व्रत की कथा सुनें। फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा से भगवान शिव की आरती करें। अंत में ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। साथ ही अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

शिव मंत्र 


ॐ नमः शिवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

सामग्री


  1. घी
  2. दही
  3. फूल
  4. फल
  5. अक्षत
  6. बेलपत्र
  7. धतूरा
  8. भांग
  9. शहद
  10. गंगाजल
  11. सफेद चंदन
  12. काला तिल
  13. कच्चा दूध
  14. हरी मूंग दाल
  15. शमी का पत्ता

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किस दिन है चंपा षष्ठी का व्रत

चंपा षष्ठी का पर्व भारत के प्राचीन त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से भगवान शिव के खंडोबा स्वरूप और भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए समर्पित है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह व्रत मनाया जाता है।

चंपा षष्ठी की पूजा विधि

भगवान शिव के योद्धा अवतार को समर्पित चम्पा षष्ठी हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रुप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

बैंगन छठ की कहानी क्या है

हर साल बैंगन छठ या चंपा षष्ठी का यह व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इसे बैंगन छठ के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, इस पूजा में बैंगन चढ़ाते हैं इसलिए इसे बैंगन छठ कहा जाता है।

मेरा मन पंछी ये बोले, उड़ वृन्दावन जाऊँ (Mera Man Panchi Ye Bole Ud Vrindavan Jaau)

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