Logo

नहाय खाय: छठ पूजा का पहला दिन

नहाय खाय: छठ पूजा का पहला दिन

नहाय खाय पर्व से होती है छठ पर्व की शुरूआत, इसी दिन लिया जाता है छठ व्रत का संकल्प 


छठ पूजा भारत के कुछ राज्यों, विशेष तौर पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह चार दिवसीय त्योहार सूर्य देव और छठी मैया की पूजा को समर्पित है। इस त्योहार का पहला दिन 'नहाय-खाय' के नाम से जाना जाता है।


नहाय-खाय छठ पूजा का पहला दिन होता है और यह पूरे छठ पर्व का शुभारंभ होता है। इस दिन व्रती महिलाएं शुद्धता और पवित्रता को अपनाती हैं। आने वाले दिनों में छठ पूजा के लिए खुद को तैयार करती हैं। यह दिन सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित होता है और माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा से सभी पाप धुल जाते हैं और मन शुद्ध हो जाता है।


नहाय-खाय की पूजा विधि


  • स्नान: इस दिन व्रती महिलाएं सुबह जल्दी उठकर नदी या तालाब में स्नान करती हैं। यदि नदी या तालाब आसपास उपलब्ध नहीं है तो घर में ही गंगाजल से स्नान कर सकती हैं। स्नान के समय वे अपने शरीर को शुद्ध करने के साथ-साथ मन को भी शुद्ध करने का संकल्प लेती हैं।
  • व्रत का संकल्प: स्नान के बाद व्रती महिलाएं छठ पूजा का व्रत लेती हैं। वे सूर्य देव से निरोगी काया और परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं।
  • भोजन: नहाय-खाय के दिन व्रती महिलाएं विशेष प्रकार का भोजन बनाती हैं। इस भोजन में अरवा चावल, दाल और कद्दू की सब्जी शामिल होती है। यह भोजन पूरी तरह से शुद्धता के साथ बनाया जाता है और इसे परिवार के सभी सदस्य मिलकर खाते हैं।
  • पूजा: शाम को व्रती महिलाएं सूर्य देव की पूजा करती हैं। इसके लिए वे घर में एक स्थान को साफ करके वहां सूरज की तस्वीर या प्रतिमा रखती हैं। इसके बाद वे दीपक जलाती हैं और धूप-बत्ती दिखाती हैं।
  • प्रार्थना: पूजा के दौरान व्रती महिलाएं सूर्य देव से परिवार की सुख-समृद्धि और सभी तरह के कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना करती हैं।
  • मंत्र : षष्ठी के दिन सुबह स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेते समय इन मंत्रों का उच्चारण करें। ऊं अमुक गोत्रो अमुक नामांह मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।


नहाय-खाय नव जीवन का प्रतीक 


  • शुद्धता और पवित्रता: नहाय-खाय का दिन शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। इस दिन व्रती महिलाएं अपने शरीर और मन को शुद्ध करती हैं।
  • नए जीवन की शुरुआत: नहाय-खाय छठ पूजा की शुरुआत होती है और यह नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।
  • सूरज देव की पूजा: इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है जो जीवनदाता माने जाते हैं।
  • परिवार की एकता: नहाय-खाय के दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर भोजन करते हैं और पूजा करते हैं जो परिवार की एकता का प्रतीक है।


चूल्हे पर बनता है नहाय-खाय का खाना


नहाय-खाय के दिन जो खाना बनाया जाता है उसे रसोई के चूल्हे पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है। इस चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस दिन भोजन बनाकर उसका भोग सूर्य देव को लगाया जाता है।


........................................................................................................
किस्मत को मेरी आज, बना क्यों नहीं देते (Kismat Ko Meri Aaja Bana Kyo Nahi Dete)

किस्मत को मेरी आज,
बना क्यों नहीं देते,

कितना प्यारा है सिंगार (Kitna Pyara Hai Singar)

कितना प्यारा है सिंगार,
की तेरी लेउ नज़र उतार,

कर दो दूर प्रभु, मेरे मन में अँधेरा है (Kardo Dur Prabhu Mere Mann Me Andhera Hai)

कर दो दूर प्रभु,
मेरे मन में अँधेरा है,

कितना रोई पार्वती, शिवनाथ के लिए (Kitna Roi Parvati Shivnath Ke Liye)

कितना रोई पार्वती,
शिवनाथ के लिए,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang