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शिकारी माता, मंडी: पांडवों की निर्माण और छत का रहस्य

शिकारी माता, मंडी:  पांडवों की निर्माण और छत का रहस्य

पांडवों ने करवाया मंडी के शिकारी माता मंदिर का निर्माण, जानें क्यों नहीं है मंदिर के ऊपर छत 


शिकारी माता मंदिर मंडी जिले में भी स्थित है। जंजैहली से 16 किलोमीटर दूर शिकारी देवी मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जिसके ऊपर छत नहीं है। ये मंदिर 3359 एमआरटी की ऊंचाई पर बना है। सर्दियों में यहां बर्फ गिरती है लेकिन गर्मियों में काफी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक दर्शन के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया लेकिन मंदिर पर छत नहीं बनी है। 


अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने तपस्या की 


शिकारी देवी मंदिर के पुजारी सुरेश शर्मा ने बताते हैं कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था। मार्कंडेय ऋषि ने इस जगह पर कई साल तपस्या की थी। उनकी तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा अपनी शक्ति रूप में इस जगह स्थापित हुई थी। वहीं, बाद में इस स्थान को अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी तपस्या की। पांडवों की तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा प्रकट हुई और पांडवों को युद्ध में जीत का आशीर्वाद दिया। उसी समय पांडवों ने मंदिर का निर्माण करवाया, लेकिन किसी कारण इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका और पांडव यहां पर मां की पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के बाद चले गए।


माता की मूर्ति पर नहीं टिकती बर्फ


इस मंदिर की छत नहीं है। ऐसे में देवी मां यहां खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं। शिकारी शिखर की पहाड़ियों पर हर साल सर्दियों में कई फीट बर्फ गिरती है। बावजूद इसके मंदिर में स्थित मूर्तियों के स्थान पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती है। जो कि किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। यहां के पुजारी ने बताया कि कई कोशिशों के बाद भी इस रहस्यमय शिकारी देवी के मंदिर की छत नहीं बन पाई। बारिश, आंधी, तूफान और बर्फबारी में भी शिकारी माता खुले आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती है। उन्होंने बताया कि माता कि पिंडियों पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती है।


शिकारी देवी नाम के पीछे का इतिहास


ये मंदिर स्थापित घने जंगल के बीच में स्थित है। घना जंगल होने के कारण यहां पर जीव जन्तु भी ज्यादा है। यहां पर शिकारी वन्यजीवों का शिकार करने के लिए आते थे। शिकार करने से पहले शिकारी मंदिर में सफलता की प्रार्थना करते और मनोकामना पूरी हो जाती। इसी के बाद इस मंदिर का नाम शिकारी देवी पड़ गया। शिकारी माता दर्शन करने के लिए हर साल यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। गर्मियों के दिनों में मंदिर के चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखती है और श्रद्धालुओं के पहुंचने के लिए यहां पर बहुत सुंदर मार्ग बनाया गया है।


शिकारी माता मंदिर कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - मंदिर जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा कुल्लू जिले के भुंतर में लगभग 118 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।

रेल मार्ग -  निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर में नैरो गेज लाइन है जो लगभग 152 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सड़क मार्ग - जंजैहली चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर नेरचौक से सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।


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