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वशिष्ठ मंदिर: स्नान से रोगों से मुक्ति, भगवान राम की शिक्षा का स्थल

दर्शन समय

7 AM - 9 PM

वशिष्ठ मंदिर के झरने में स्नान से मिलती रोगों से मुक्ति, भगवान राम ने यहीं ग्रहण की थी शिक्षा 


मनाली से 3 किलोमीटर दूर, ब्यास नदी के पार स्थित एक छोटा सा गांव, वशिष्ठ अपने प्राकृतिक गरम झरनों और 4000 साल पुराने वशिष्ठ मंदिर के लिए दुनिया भर के यात्रियों के बीच प्रसिद्ध है। ये मंदिर सात महान वैदिक ऋषियों (सप्तर्षियों) में से एक है, जो रघु वंश के कुलगुरु भी थे और भगवान राम और उनके भाइयों के शिक्षक थे। मंदिर के आस-पास गर्म पानी के झरने मौजूद है, झरने के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां जो व्यक्ति स्नान कर लेता है, उसे गंभीर बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। मंदिर के अंदर ऋषि वशिष्ठ की काले पत्थर की मूर्ति प्रतिष्ठित है, जहां राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियां भी स्थापित हैं।


चार हजार साल पुराना है इतिहास 


वशिष्ठ मंदिर 4000 साल पुराना बताया जाता है, जो महान ऋषि गुरु वशिष्ठ को समर्पित है जो सबसे पुराने और सबसे सम्मानित वैदिक ऋषियों में से एक है। वशिष्ठ की राजा विश्वामित्र से दुश्मनी थी। विश्वामित्र ने वशिष्ठ के सभी बच्चों को मार डाला था, जिसके कारण ऋषि उदास हो गए थे। वशिष्ठ इतने दुखी हो गये थे कि उन्होंने नदी में कूदकर अपनी जान देने की कोशिश की, लेकिन नदी ने उन्हें बचा लिया। ऋषि वशिष्ठ विपाशा नदी के किनारे गांव में बस गए। गांव का नाम वशिष्ठ रखा गया और विपाशा नदी को बाद में व्यास नदी के नाम से जाना जाने लगा। बाद में ऋषि को समर्पित मंदिर वहीं बना जहां ऋषि ध्यान करते थे। इस प्रकार वशिष्ठ मंदिर का अस्तित्व बना। मंदिर के आसपास गर्म पानी के झरने मौजूद हैं। 


वशिष्ठ मंदिर का निर्माण हिमालयी काठ कुनी शैली से हुआ


मंदिर का निर्माण हिमालयी काठ कुनी स्थापत्य शैली में किया गया है। काठ कुनी एक स्वदेशी तकनीक है जो ज्यादातर हिमालयी इलाकों में प्रचलित है, खासकर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड क्षेत्रों में। जटिल लकड़ी की नक्काशी काठ कुनी वास्तुकला की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है। एक प्राचीन बावड़ी के अवशेष और वशिष्ठ मंदिर का प्राचीन मंदिर स्पष्ट रूप से मध्ययुगीन मंदिर वास्तुकला की विशेषताओं का चित्रण है। मंदिर के अंदरूनी हिस्से को पारंपरिक भित्ति चित्रों, चित्रों और मूर्तियों से सजाया गया है, जो हिमाचल प्रदेश के मंदिरों की एक खासियत है। मंदिर के मुख्य देवता ऋषि वशिष्ठ है और मंदिर के अंदर ग्रेनाइट से बनी ऋषि की एक काली मूर्ति रखी गई है, जिसे सफेद धोती से लपेटा गया है।


वशिष्ठ स्नान या गर्म पानी के झरने प्रसिद्ध हैं 


वशिष्ठ स्नान या वशिष्ठ के प्राकृतिक गर्म पानी के झरने, जैसा कि प्रसिद्ध है, वशिष्ठ का मुख्य आकर्षण हैं। गर्म झरनों में औषधीय गुण होते है और माना जाता है कि वे त्वचा रोगों और संक्रमणों का इलाज करते हैं। गर्म झरनों के पास बलुआ पत्थर के मंदिर हैं। सरकार द्वारा पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग स्नान क्षेत्र की व्यवस्था की गई है। झरने में पानी का तापमान 110 से 123 डिग्री फारेनहाइट के बीच उतार-चढ़ाव करता है। यह हिमनद खनिजों से समृद्ध है एवं इसके पानी से सल्फर की गंध आती है।


वशिष्ठ मंदिर में प्रवेश का समय सुबह 7 बजे से रात 9 बजे के बीच है। 


कैसे पहुंचे वशिष्ठ मंदिर

हवाई मार्ग - मनाली में सबसे नजदीकी हवाई अड्डा भुंतर में कुल्लू मनाली हवाई अड्डा है। भुंतर हवाई अड्डे से आप मनाली में मंदिर जाने के लिए कैब बुक कर सकते हैं। 

रेल मार्ग -  मनाली के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं है, आप शिमला तक ट्रेन बुक कर सकते हैं और निजी कैब करके बाकी की यात्रा पूरी कर सकते हैं। शिमला से मनाली की दूरी तय करने में 6 से 7 घंटे का समय लगता है।

सड़क मार्ग - दिल्ली से मनाली तक की सड़क से अद्भुत नजारे दिखते हैं। सड़क का रास्ता आपको आराम से मंदिर तक पहुंचा देगा।



डिसक्लेमर

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