Logo

फाल्गुन अमावस्या की कथा

फाल्गुन अमावस्या की कथा

Phalguna Amavasya Katha: पितरों को समर्पित होता है फाल्गुन अमावस्या का दिन, जानें कथा और दिलचस्प बातें



फाल्गुन मास की अमावस्या  2025 में 27 फरवरी को पड़ेगी। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इन कर्मों से वह प्रसन्न होते हैं और  परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखते है।धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित है या उसे अपने पूर्वजों की शांति के लिए उपाय करने की आवश्यकता है, तो फाल्गुन अमावस्या का यह अवसर सर्वोत्तम है।  इस दिन से जुड़ी कथाएं प्रचलित है, जो सदियों से चली आ रही है। आइए आपको इस दिन के पीछे की कथा और बाकी रोचक चीजों के बारे में विस्तार से आर्टिकल के जरिए बताते हैं।


फाल्गुन अमावस्या से जुड़ी कथा



फाल्गुन अमावस्या से जुड़ी कई कथाएं लोगों के बीच प्रचलित है।  इनमें से एक कथा है , जिसके मुताबिक पौराणिक कथा में सोमदेव नाम के एक राजा थे। उनके राज्य में सभी लोग सुखी और समृद्ध थे। लेकिन, राजा की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए कई यज्ञ और अनुष्ठान किए, लेकिन उन्हें कोई फल नहीं मिला। इसके बाद एक दिन, राजा सोमदेव ने एक ऋषि से अपनी समस्या बताई। ऋषि ने राजा सोमदेव को फाल्गुन अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने की सलाह दी। राजा ने ऋषि की बात मानकर तर्पण किया, जिससे उनके पितृ भक्ति से प्रसन्न हो गए।  उन्होंने  पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। कुछ समय बाद, राजा सोमदेव को एक पुत्र हुआ।
इस कथा के अलावा फाल्गुन अमावस्या से जुड़ी और भी कई कथाएं हैं।


फाल्गुन अमावस्या का महत्व



  • यह दिन पितरों को समर्पित होता है। इसलिए उन्हें खुश करने के लिए फाल्गुन अमावस्या पर उन्हें तर्पण करें और पिंडदान करें।
  • इस दिन व्रत रखने से  पितृ दोष जैसे कई तरह के दोष खत्म हो जाते है।
  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 

फाल्गुन अमावस्या से जुड़ी दिलचस्प बातें


  • फाल्गुन अमावस्या को फाल्गुनी अमावस्या भी कहा जाता है।
  • फाल्गुन अमावस्या के दिन गंगा, यमुना, गोदावरी और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है।
  • इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करना चाहिए।
  • फाल्गुन अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
  • फाल्गुन अमावस्या के दिन "ॐ पितृभ्य: नम:" मंत्र का जाप करना चाहिए।

........................................................................................................
श्री रुद्राष्टकम् मंत्र (Sri Rudrashtakam Mantra)

॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ ॥ Shrirudrashtakam ॥
namaamishmishan nirvanarupam
vibhum vyapakam bramvedasvarupam .
nijam nirgunam nirvikalpam niriham
chidakashamakashavasam bhaje̕ham . 1.

Main Balak Tu Mata Sherawaliye (मैं बालक तू माता शेरां वालिए)

मैं बालक तू माता शेरां वालिए,
है अटूट यह नाता शेरां वालिए ।
शेरां वालिए माँ, पहाड़ा वालिए माँ,
मेहरा वालिये माँ, ज्योतां वालिये माँ ॥
॥ मैं बालक तू माता शेरां वालिए...॥

आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा (Aa Maan Aa Tujhe Dil Ne Pukaara)

आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा ।
दिल ने पुकारा तू है मेरा सहारा माँ ॥

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है भजन (Chalo Bulawa Aaya Hai Mata Ne Bulaya Hai Bhajan)

नवदुर्गा, दुर्गा पूजा, नवरात्रि, नवरात्रे, नवरात्रि, माता की चौकी, देवी जागरण, जगराता, शुक्रवार दुर्गा तथा अष्टमी के शुभ अवसर पर गाये जाने वाला प्रसिद्ध व लोकप्रिय भजन।

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang