पूरी दुनियाा में मध्यप्रदेश को भारत के दिल यानी ह्रदयप्रदेश के नाम से भी जाना जाता है। प्रदेश में कई ऐसे मंदिर हैं जो सिद्ध होने के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं। ऐसा ही एक मंदिर टीकमगढ़ जिले के ओरछा में स्थित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा होती है। यह मंदिर अद्भुत वास्तुकला के लिए जाना जाता है। हम बात कर रहे है विश्व प्रसिद्ध चतुर्भुज मंदिर के बारे में। यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है। जो ओरछा किले से 1 किमी की दूरी पर स्थित है।
ये मंदिर अपने विशाल आकार के कारण ओरछा का प्रभुत्व माना जाता है। इसका निर्माण लगभग 15 फीट ऊंचे एक विशाल चबूतरे पर किया गया है और इसके ऊंचे शिखर बादलों तक ऊपर की ओर फैले हुए प्रतीत होते हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार तक पहुंचने के लिए आगंतुक को चौड़ी सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यह राम राजा के मंदिर के दक्षिण में स्थित है और इसका निर्माण देवता राम की एक छवि रखने के लिए किया गया था। हालाँकि यह मंदिर के निर्माण का प्रारंभिक कारण था, लेकिन यह कभी साकार नहीं हुआ। इसके स्थान पर राधा कृष्ण की आकृति वाला एक मंदिर है। पर्यटक एक छोटे से शुल्क पर मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि मधुकर शाह ने चतुर्भुज मंदिर का निर्माण शुरू कराया था, लेकिन यह उनके बेटे बीर सिंह देव के शासनकाल के दौरान पूरा हो सका।
चतुर्भुज मंदिर का इतिहास
चतुर्भुज नाम का शाब्दिक अर्थ है 'जिसकी चार भुजाएँ हों' और यह भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम को संदर्भित करता है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण ओरछा के राजा, राजा मधुकर शाह ने 1558 और 1573 के बीच करवाया था। मधुकर शाह ने इस मंदिर का निर्माण अपनी पत्नी रानी गणेश कुवारी के लिए कराया था, जो भगवान राम की भक्त थीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार ओरछा के तत्कालीन महाराज मधुकर शाह बांके बिहारी यानि भगवान कृष्ण के उपासक थे, जबकि महारानी भगवान राम की उपासना करते थे। इस बात को लेकर दोनों के बीच काफी विवाद होता था।
एक दिन महारानी ने यह निर्णय किया कि वे अपने प्रदेश में भगवान राम की स्थापना करवाएंगी। इसी कारण वे राजा को बिना बताए अयोध्या निकल गईं, जहां घोर तपस्या करने के बाद भगवान राम उनके साथ बाल अवस्था में चलने को राजी हो गए। ओरछा छोड़ने से पहले महारानी ने अपने सेवकों को चतुभरुज मंदिर का निर्माण करवाने का आदेश दिया था। उधर जब राजा को रानी के चले जाने का पता चला, तो उन्होंने उनकी अनुपस्थिति में चतुर्भुज मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा करवाया।
कुछ साल बाद रानी भगवान राम को लेकर ओरछा पहुंची और अपने महल में रखा। जब चतुर्भुज मंदिर में उनकी स्थापना की बात हुई, तो भगवान राम ने महल छोड़ने से इंकार कर दिया। इसके बाद उनकी स्थापना वहीं हुई और रानी का महल राम राज मंदिर बन गया। अब चूंकि चतुर्भुज मंदिर बनकर तैयार हो गया था, तो वहां राजा और रानी ने मिलकर भगवान विष्णु की स्थापना करवाई। इसके बाद से वहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
चतुर्भुज मंदिर की वास्तुकला
यह मंदिर वास्तुकला, किले और महल शैलियों का एक सुंदर मिश्रण है। मंदिर का भव्य दृश्य बहुमंजिला महल जैसा है जिसमें मेहराबदार द्वार, एक बहुत बड़ा प्रवेश द्वार, एक बड़ा केंद्रीय टॉवर और किलेबंदी है। चतुर्भुज मंदिर एक विशाल पत्थर के मंच के ऊपर बनाया गया था और सीढ़ियों की खड़ी उड़ान से पहुंचा जाता था। कमल के प्रतीक और धार्मिक महत्व के अन्य प्रतीक नाजुक बाहरी अलंकरण प्रदान करते हैं। भीतर, गर्भगृह ऊँची, मेहराबदार दीवारों के साथ एकदम सादा है जो इसकी गहरी पवित्रता पर जोर देता है।
चतुर्भुज की स्थापत्य शैली
इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर धार्मिक प्रतीकों और कमल की पंखुड़ियों की जटिल सजावट है। इसके ठीक विपरीत, इंटीरियर काफी सादा है। प्रसिद्ध भारतीय वास्तुकार ताकेओ कामिया ने मंडप या मंडप को क्रॉस आकार के साथ इस्लामी शैली में वर्णित किया है और कहा है कि टावर्स पाइनकोन के समान हैं।
ओरछा घूमने का सबसे अच्छा मौसम
अक्टूबर से मार्च के बीच सर्दियों का महीने ओरछा की ऐतिहासिक विरासत स्थलों को देखने के लिए सबसे अच्छा समय है। सर्दियों के दौरान तापमान आरामदायक रहता है और ओरछा में पर्यटकों के आकर्षण का दौरा करने के लिए उपयुक्त है। दर्शनीय स्थलों की यात्रा के अलावा बेतवा नदी में नौकायन कर सकते हैं, नौकायन करने के लिए ओरछा सबसे लोकप्रिय जगह भी मानी जाती है। ओरछा में गर्मियों के महीने बेहद गर्म और थका देने वाले होते हैं और इन महीनों के दौरान यहां घूमने जाने से बचना चाहिए।
ओरछा मंदिर कैसे पहुंचे?
दिल्ली से ओरछा की दूरी - 464km
हवाई मार्ग- मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर हवाई अड्डा है जो इस मंदिर से 175 किमी की दूरी पर है। यहां से आप स्थानीय परिवहन सेवाओं या टैक्सी का उपयोग करके इस मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
ट्रेन द्वारा- मंदिर से निकटतम रेलवे स्टेशन झाँसी है जो इस मंदिर से 16 किमी की दूरी पर है। यहां से आप स्थानीय परिवहन सेवाओं या टैक्सी का उपयोग करके इस मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग- ओरछा की सड़कें देश के अन्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ी हुई हैं इसलिए आप देश के किसी भी हिस्से से अपने वाहन या किसी सार्वजनिक बस या टैक्सी का उपयोग करके ओरछा पहुंच सकते हैं। और यहां लोकल ट्रांसपोर्ट की मदद से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
ओरछा में घूमने की अन्य जगहें
ओरछा में चर्तुभुज मंदिर के अलावा ओरछा किला, राम राजा मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, ओरछा वन्यजीव अभयारण्य, चंदेरी, शाही छतरियाँ/छर्रे आदि जगह भी घूमने के लिए काफी अच्छी है।
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