प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत होने में एक महीने से भी कम समय रह गया है। साधु-संतों के अखाड़े प्रयागराज पहुंच चुके हैं। वहीं लोग बड़ी संख्या में संगम पर स्नान करने आने वाले हैं। लेकिन इसके साथ ऐसे भी कुछ श्रद्धालु होंगे, जो कल्पवास के लिए प्रयाग पहुंचेंगे। आपको बता दें कि कल्पवास एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो माघ माह में की जाती है। इस दौरान व्यक्ति 1 महीने संगम के किनारे रहता है और अनुशासित जीवनशैली का पालन करता है। इस पौराणिक प्रक्रिया का पालन करने का उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति करना और अपने पापों से मुक्ति पाना है। सदियों से चली आ रही परंपरा को साधु संत बढ़ाते चले आए हैं। तो चलिए आपको कल्पवास के महत्व के बारे में बतातें है, साथ ही इस लेख में आपको बताएंगे कि कल्पवास करने के क्या लाभ हैं।
हिंदू धर्म में कल्पवास का अत्यधिक महत्व है। ये सनातन संस्कृति का अहम हिस्सा है, इसे आध्यात्मिक विकास का रास्ता माना जाता है। यह धर्म, भक्ति और तप का ऐसा संगम है, जो व्यक्ति को आत्मचिंतन करवाता है और उसके उद्देश्य का बोध कराता है। इस दौरान कई नियमों का भी पालन करना होता है, जिसके बाद ही कल्पवास के लाभ मिलते हैं।
कल्पवास के दौरान व्यक्ति साधारण जीवन जीता है, जिससे उसे शांति मिलती है। व्यक्ति का मन ईश्वर की भक्ति में लगा रहता है और शुद्ध होता है। इस दौरान वो अपने पापों से मुक्ति पाता है और उसके जीवन में अनुशासित होने लगता है। साथ ही उसके अंदर जिम्मेदारी का भाव विकसित होता है। कल्पवास के दौरान सात्विक भोजन करने से विचारों में निर्मलता आती है।
एक माह तक नियमों का सही तरीके से पालन करने से मनोबल के साथ-साथ सहनशक्ति में भी बढ़ोत्तरी होती है। व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आने लगती है। कल्पवास करने वाले व्यक्ति के सांसारिक तनाव खत्म हो जाते हैं। वो मानसिक शांति की अनुभूति करता है। इसके साथ ही उसके शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, जिससे सारी चिंताएं दूर होती हैं।
कल्पवास के दौरान व्यक्ति एक महीने तक साधारण भोजन, उपवास और शुद्ध जल ग्रहण करता है, जिससे उसके शरीर की ऊर्जा में वृद्धि होती है पाचन तंत्र को आराम मिलता है। कल्पवास करने से शरीर स्वस्थ रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा होता है। इसके अलावा ऐसा करने से वजन कम करने में मदद मिलती है। कल्पवास करने से डेंगू, चिकनगुनिया, टीबी जैसी कई बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर को मजबूती मिलती है।
माघ माह में संगम तट पर मेला लगता है। जहां बड़ी संख्या में लोग कल्पवास करने आते हैं। ये कई संस्कृतियों के मिलन का अवसर होता है, जहां वे अपने विचार आदान-प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा यह परंपरा पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को मजबूत करती है।
इस साल 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होने वाला है। यह सनातन धर्म में महाकुंभ को धर्म और आस्था का सबसे बड़ा मेला कहा जाता है।
हिंदू धर्म में कुंभ मेले का अत्यधिक महत्व है। इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। इस वर्ष महाकुंभ मेला 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है और 26 फरवरी को समाप्त होगा।
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक आयोजन है, जो 12 साल में एक बार होता है। वर्ष 2025 में यह मेला प्रयागराज में आयोजित हो रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु मोक्ष की प्राप्ति के लिए पवित्र स्नान करेंगे।
हिंदू तिथि के अनुसार, हर 12 साल में पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ महाकुंभ की शुरुआत होती है और महाशिवरात्रि पर खत्म होता है।