Logo

महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान

महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान

MahaKumbh 2025: महाशिवरात्रि पर आखिरी शाही स्नान के साथ होगी कुंभ की समाप्ति, जानें स्नान का शुभ मुहूर्त 


महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान है। इस बार कुंभ का आयोजन तीर्थ नगरी प्रयागराज में हो रहा है। जिसके लिए तैयारियां भी पूरी कर ली गई है। 45 दिनों तक चलने वाले इस मेले के दौरान करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचेंगे। प्रयागराज महाकुंभ इसलिए भी खास है, क्योंकि इस बार 6 शाही स्नान होने वाले हैं। 13 जनवरी को  पौष पूर्णिमा से इनकी शुरुआत होगी, वहीं 26 फरवरी को  महाशिवरात्रि पर ये खत्म होंगे। इन शाही स्नानों के साथ-साथ महाकुंभ के धार्मिक समागम की भी समाप्ति हो जाएगी। चलिए आपको महाशिवरात्रि पर होने वाले छठवें शाही स्नान का महत्व  और इसके शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं। 



महाशिवरात्रि पर स्नान का शुभ मुहूर्त


2025 में शिवरात्रि 26 फरवरी के मनाई जाएगी। इस दिन  साधु संत और श्रद्धालु  धार्मिक समागम का अंतिम शाही स्नान करेंगे। महाशिवरात्रि पर शाही  स्नान  का ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 9 मिनट पर शुरू होगा,  वहीं  इसका समापन सुबह 5 बजकर 59 मिनट पर होगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है।


महाशिवरात्रि पर स्नान करने का महत्व 


धार्मिक मान्यता के मुताबिक महाकुंभ में स्नान करने से व्यक्ति को  मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है। आखिरी शाही स्नान महाशिवरात्रि पर है, जिससे इस दिन इसका महत्व और बढ़ गया है। बता दें कि महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का बड़ा पर्व है।   माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था।  इसलिए यह दिन बहुत पवित्र है।  इस दिन भक्त भगवान शिव मंदिरों में इकट्ठा होते हैं और जलाभिषेक करते हैं।  पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक  जो भी इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक और पूजन, व्रत आदि करता है, भगवान भोलेनाथ उस पर प्रसन्न होते हैं और विशेष कृपा करते हैं।


भगवान शिव के जाप से मिलती है मानसिक शांति 


मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के मंत्रों का रातभर जाप करने से  आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त होती है। जिसके कारण  देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ होती है। वहीं शाही स्नान के दौरान साधु-संत भी विशेष विधि विधान करते हैं। इसके अलावा महाशिवरात्रि पर दान का भी विशेष महत्व माना गया है।


........................................................................................................
बसंत पंचमी क्या भोग लगाएं

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इसी कारण से हर वर्ष इस तिथि को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

विनायक चतुर्थी का व्रत कथा

हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन भक्त श्रद्धा पूर्वक पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।

विनायक चतुर्थी के उपाय

सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी का काफी महत्व है। चतुर्थी का पर्व शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी 1 फरवरी 2025 को है। यह दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है।

रथ सप्तमी व्रत के शुभ मुहूर्त

माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रखा जाने वाला रथ सप्तमी व्रत इस साल 4 फरवरी को है। यह व्रत प्रमुख रूप से सूर्य देव को समर्पित है। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang