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कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान कब करें

कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान कब करें

कार्तिक पूर्णिमा पर किस समय करें गंगा स्नान, जानें क्या है शुभ मुहूर्त 


धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने और उचित दान-पुण्य करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा पर हजारों- लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा जी के किनारे स्नान के लिए एकत्रित होते हैं। जिससे मेले का माहौल बन जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का भी विधान है। आइए जानते हैं इस वर्ष गंगा स्नान की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, और पूजन विधि के बारे में।


गंगा स्नान की सही तिथि 


इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान की शुरुआत 15 नवंबर 2024 को सुबह 6:19 बजे से हो रही है। यह तिथि 16 नवंबर को तड़के 2:58 बजे समाप्त होगी। चूंकि उदया तिथि 15 नवंबर को है, इसलिए गंगा स्नान का मुख्य दिन 15 नवंबर 2024 को ही होगा।


गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त 


पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान का शुभ समय सुबह 4:58 बजे से शुरू होकर 5:51 बजे तक रहेगा। इस समय स्नान करके पवित्र नदी में दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। सत्यनारायण भगवान की पूजा का समय सुबह 6:44 बजे से 10:45 बजे तक रहेगा। इस दौरान श्रद्धालु भगवान को पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। वहीं, कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। देव दीपावली का शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को शाम 5:10 बजे से रात 7:47 बजे तक रहेगा। वहीं लक्ष्मी पूजन का शुभ समय रात 11:39 बजे से लेकर 16 नवंबर की सुबह 12:33 बजे तक रहेगा।


गंगा स्नान ना कर पाने पर क्या करें?


यदि किसी कारणवश आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते, तो आप घर पर ही स्नान कर सकते हैं। इस पवित्र स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठें और नित्यकर्म के पश्चात स्नान के जल में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का स्मरण करते हुए स्नान करें। स्नान के बाद भगवान को भोग अर्पित करें और पूजन करें। इसके बाद जरूरतमंदों को दान दें, जिससे पुण्य की प्राप्ति हो।


जानें इस पर्व का महत्व


सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत पावन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं, और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी और चंद्र देव की भी पूजा की जाती है, जिससे धन, वैभव और शांति का आशीर्वाद मिलता है। इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और विधि पूर्वक पूजा-अर्चना करने से जीवन में सकारात्मकता आती है, पापों का नाश होता है, और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है।



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भ्रामरी देवी/ त्रिस्त्रोता शक्तिपीठ, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल (Bhramari Devi / Tristrota Shaktipeeth, Jalpaiguri, West Bengal)

माता सती का बायां पैर त्रिस्त्रोता नाम की जगह पर गिरा। यह जगह पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के बोडा मंडल के सालबाढ़ी ग्राम में स्थित है।

उज्जयिनी चंडिका शक्तिपीठ, बर्धमान, पश्चिम बंगाल (Ujjaini Chandika Shaktipeeth, Bardhaman, West Bengal)

पश्चिम बंगाल के चंडिका शक्तिपीठ में माता सती के चंडी और भगवान शिव के कपिलंबर स्वरूप की पूजा होती है।

महाभारत से जुड़ा शक्तिपीठ का संबंध, मछुआरे की वजह से राजा ताम्रध्वज ने किया मंदिर निर्माण (Mahaabhaarat Se Juda Shaktipeeth Ka Sambandh, Machhuaare Kee Vajah Se Raaja Taamradhvaj Ne Kiya Mandir Nirmaan)

माता सती के कपालिनी और भगवान शिव के शर्वानंद स्वरूप के दर्शन बरगाभीमा या कपालिनी शक्तिपीठ में मिलते हैं।

नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर, बीरभूम, पश्चिम बंगाल (Nandikeshwari Shaktipeeth Temple, Birbhum, West Bengal)

नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर में माता सती के शरीर का कोई अंग नहीं बल्कि उनका आभूषण हार गिरा था। यहां माता के देवी नंदिनी और शिव के नंदकिशोर स्वरूप की पूजा होती है।

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