Masik Durga Ashtami Vrat 2025: मासिक दुर्गाष्टमी व्रत पारण की विधि, जानिए पारण करने का सही तरीका और नियम
हिंदू पंचांग के अनुसार मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक पावन अवसर होता है। यह व्रत पूरे दिन मां दुर्गा की आराधना और मंत्रोच्चार के साथ रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्रत के संपूर्ण फल की प्राप्ति तभी होती है जब इसका पारण धार्मिक विधि से किया जाए। मासिक दुर्गाष्टमी में अष्टमी तिथि का समापन 19 जुलाई को सुबह 05:33 बजे होगा, इसलिए व्रत का पारण उसी दिन सूर्योदय के बाद नवमी तिथि में किया जाना चाहिए।
पारण के दिन की पूजा विधि
- पारण से पूर्व, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर को साफ करके, मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।
- उन्हें फल, फूल, मिठाई, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- इसके बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां के मंत्रों का जाप करें।
पारण के पहले करें दान
व्रत का पारण करने से पहले, अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराना या उन्हें वस्त्र, फल या दक्षिणा का दान देना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
यह दान मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्ति का माध्यम होता है।
सात्विक भोजन से करें पारण
- दान के बाद, व्रती को सबसे पहले थोड़े जल का सेवन करना चाहिए।
- इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
- भोजन सादा, हल्का और ताजगी से परिपूर्ण होना चाहिए।
व्रत पारण के समय खाएं ये सात्विक चीजें
- फल और दूध: यदि व्रत फलाहार का रखा गया था, तो दूध, केला, पपीता आदि खा सकते हैं।
- साबूदाना खिचड़ी: यह व्रत का प्रसिद्ध और सात्विक विकल्प साबूदाना की खिचड़ी है।
- उबली हुई या भाप में पकी हुई सब्जियां: आलू, लौकी, गाजर जैसी हल्की सब्जियां उपयुक्त हैं।
- सूखे मेवे: बादाम, काजू, किशमिश और छुहारा स्वस्थ विकल्प होते हैं।
- कुट्टू के आटे से बनी पूड़ी या खिचड़ी: यह पारंपरिक व्रत आहार के रूप में खाई जाती हैं।