हिंदू पंचांग के अनुसार मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक पावन अवसर होता है। यह व्रत पूरे दिन मां दुर्गा की आराधना और मंत्रोच्चार के साथ रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्रत के संपूर्ण फल की प्राप्ति तभी होती है जब इसका पारण धार्मिक विधि से किया जाए। मासिक दुर्गाष्टमी में अष्टमी तिथि का समापन 19 जुलाई को सुबह 05:33 बजे होगा, इसलिए व्रत का पारण उसी दिन सूर्योदय के बाद नवमी तिथि में किया जाना चाहिए।
व्रत का पारण करने से पहले, अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराना या उन्हें वस्त्र, फल या दक्षिणा का दान देना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
यह दान मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्ति का माध्यम होता है।
आस्था की नगरी प्रयागराज 12 साल बाद महाकुंभ 2025 के लिए पूरी तरह से तैयार है। देश के कोने-कोने से साधु-संतों का यहां पर लगातार आगमन हो रहा है। इस विशाल धार्मिक आयोजन में हरिश्चंद्र विश्वकर्मा, जिन्हें चाबी वाले बाबा के नाम से जाना जाता है, विशेष ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
महाकुंभ में देश के कोने-कोने से धर्मगुरु और साधु-संत एकत्र हुए हैं। इस विशाल मेले में हर दिन कोई न कोई ऐसा अद्भुत दृश्य दिखाई देता है जो लोगों को आश्चर्यचकित कर देता है।
प्रयागराज का महाकुंभ हमेशा से ही अद्भुत दृश्यों और आध्यात्मिक अनुभवों का केंद्र रहा है। इस बार भी महाकुंभ ने लोगों को हैरान करते हुए कई अनोखे किस्से दिए हैं। आईआईटी से पढ़े बाबा को देखा और यूट्यूबर की चिमटे और मोर पंख से पिटाई भी देखी।
आस्था की संगम नगरी प्रयागराज इस समय महाकुंभ के रंग में पूरी तरह रंगी हुई है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ के लिए भारत के विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भव्य पेशवाई के साथ महाकुंभ नगर में प्रवेश कर चुके हैं।