जुलाई का महीना प्रकृति और आस्था का अनूठा संगम लेकर आता है। इस समय मानसून की बारिश से धरती हरियाली से आच्छादित हो जाती है, पेड़-पौधे नए पत्तों और फूलों से सजते हैं और चारों ओर ताजगी का माहौल छा जाता है। यह समय प्रकृति की सुंदरता को निहारने और उसका आनंद लेने का है। जुलाई का महीना धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दौरान कई प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, जो लोगों को एकजुट करते हैं और उनकी भक्ति व उत्साह को बढ़ाते हैं। इस माह में देवशयनी एकादशी, गुरु पूर्णिमा, हरियाली तीज, नाग पंचमी और तुलसीदास जयंती जैसे पर्व प्रमुख हैं। आइए, भक्तवत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि जुलाई 2025 में कौन-कौन से प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे।
6 जुलाई (रविवार): देवशयनी एकादशी और गौरी व्रत
देवशयनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन से भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं, और चातुर्मास की शुरुआत होती है। इस दौरान शुभ कार्यों पर रोक लगती है। साथ ही, गौरी व्रत माता पार्वती की पूजा के लिए रखा जाता है।
7 जुलाई (सोमवार): वासुदेव द्वादशी और देवशयनी एकादशी व्रत का पारण
इस दिन देवशयनी एकादशी का व्रत खोला जाता है। वासुदेव द्वादशी भगवान विष्णु के प्रति भक्ति का प्रतीक है, और इस दिन पूजा-अर्चना से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
8 जुलाई (मंगलवार): भौम प्रदोष व्रत
मंगलवार को पड़ने वाला यह प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। सायंकाल में शिव पूजा और व्रत करने से मंगल दोष का निवारण होता है और सुख-समृद्धि मिलती है।
10 जुलाई (गुरुवार): कोकिला व्रत और गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा गुरुओं के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का विशेष पर्व है। इस दिन भक्त अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेते हैं। साथ ही, कोकिला व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है, जो सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है।
11 जुलाई (शुक्रवार): सावन माह की शुरुआत
सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस माह में शिव भक्त कावड़ यात्रा निकालते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध व बेलपत्र अर्पित करते हैं। यह महीना भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।
14 जुलाई (सोमवार): गजानन संकष्टी चतुर्थी
इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। संकष्टी चतुर्थी व्रत विघ्नहर्ता गणेश की कृपा प्राप्त करने और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए रखा जाता है।
15 जुलाई (मंगलवार): मंगला गौरी व्रत
सुहागिन महिलाएं इस व्रत को माता पार्वती के आशीर्वाद के लिए रखती हैं, ताकि उनके वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहे।
16 जुलाई (बुधवार): कर्क संक्रांति
इस दिन सूर्य मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करते हैं। यह संक्रांति धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और इस दिन दान-पुण्य का विशेष फल मिलता है।
17 जुलाई (गुरुवार): कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
कालाष्टमी भगवान भैरव को समर्पित है, और उनकी पूजा से भय और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति का प्रतीक है।
20 जुलाई (रविवार): मासिक कार्तिगाई
यह दिन भगवान कार्तिकेय (स्कंद) को समर्पित है, जिनकी पूजा से साहस और शक्ति की प्राप्ति होती है।
21 जुलाई (सोमवार): कामिका एकादशी और रोहिणी व्रत
कामिका एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है, और इस व्रत से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रोहिणी व्रत भी इस दिन मनाया जाता है।
22 जुलाई (मंगलवार): कामिका एकादशी व्रत का पारण और भौम प्रदोष व्रत
इस दिन कामिका एकादशी का व्रत खोला जाता है। साथ ही, भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव की सायंकाल पूजा की जाती है।
23 जुलाई (बुधवार): मासिक शिवरात्रि
सावन माह की मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और कावड़ यात्रा के दौरान जलाभिषेक से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
24 जुलाई (गुरुवार): हरियाली अमावस्या
यह दिन प्रकृति और पितरों को समर्पित है। इस दिन वृक्षारोपण और पितृ तर्पण का विशेष महत्व है।
27 जुलाई (रविवार): हरियाली तीज
हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
28 जुलाई (सोमवार): विनायक चतुर्थी
यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है। भक्त इस दिन व्रत रखकर विघ्नहर्ता की कृपा प्राप्त करते हैं।
29 जुलाई (मंगलवार): नाग पंचमी
इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नाग पूजा से सर्प भय से मुक्ति और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
30 जुलाई (बुधवार): कल्की जयंती और स्कंद षष्ठी
कल्की जयंती भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्की को समर्पित है, जो कलियुग के अंत में अधर्म का नाश करेंगे। स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय की पूजा का दिन है।
31 जुलाई (गुरुवार): तुलसीदास जयंती
यह दिन रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम की भक्ति और तुलसीदास जी के योगदान को याद किया जाता है।
मिशरी से मिठो नाम,
हमारी राधा रानी को,
मीठे रस से भरीयो री,
राधा रानी लागे।
मोहन से दिल क्यूँ लगाया है,
ये मैं जानू या वो जाने,
मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी,
माने ना मेरी माने ना मेरी,