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मासिक दुर्गाष्टमी पर करें मां के इन मंत्रों का जाप

मासिक दुर्गाष्टमी पर करें मां के इन मंत्रों का जाप

Durga Ashtami Mantra: मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करें इन शक्तिशाली मंत्रों का जाप, हर दुख से मिलेगा छुटकारा

मासिक दुर्गाष्टमी, हर महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है और यह दिन मां दुर्गा की उपासना के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। जुलाई 2025 में मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व 18 जुलाई, शुक्रवार को पड़ रहा है। इस दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा, व्रत और मंत्रों का जाप करने से सभी दुख-दरिद्रता दूर होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मां दुर्गा को प्रसन्न करने वाले मंत्र

  • ‘ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।’ यह मंत्र मां के विभिन्न स्वरूपों का स्मरण कर उन्हें नमन करता है। यह शांति, रक्षा और शक्ति प्रदान करता है।
  • ‘सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।’ यह मंत्र देवी को सुख-संपत्ति की दात्री के रूप में स्मरण करता है। इसे पढ़ने से समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ यह बीज मंत्र है जो मां दुर्गा की आदि शक्ति को जागृत करता है। इसे 108 बार जपने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
  • ‘या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।’ यह श्लोक देवी के विविध रूपों में व्यापक उपस्थिति को दर्शाता है और हर जीव में विराजमान शक्ति को प्रणाम करता है।

मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत माना गया है स्त्रियों के लिए फलदायक 

यह पर्व मां दुर्गा की शक्ति और कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखने और मंत्रों के जाप से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। भक्तों के मन की शंकाएं समाप्त होती हैं और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। यह व्रत विशेष रूप से स्त्रियों के लिए फलदायक माना गया है जो परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।

इन बातों का रखे विशेष ध्यान 

  • व्रत रखने से पूर्व मां दुर्गा का ध्यान कर संकल्प लें।
  • पूजा के समय देवी को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • इस दिन दान-पुण्य, जैसे अनाज, वस्त्र, या दक्षिणा देना विशेष फलदायक होता है।
  • मंत्रों का एकाग्रता और शुद्ध उच्चारण से करें ताकि पूर्ण फल की प्राप्ति हो।

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