हिंदू धर्म में सोने और चांदी की धातुओं का विशेष महत्व है। सदियों से ये भारतीय घरों का अभिन्न हिस्सा रही हैं। भारतीय संस्कृति में सोना-चांदी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि लोग इन्हें बड़े पैमाने पर खरीदते हैं। ये धातुएँ शुभ मानी जाती हैं और कई देवी-देवताओं की पूजा में इनका उपयोग होता है।
सोना और चांदी सकारात्मकता का अनुभव कराती हैं, लेकिन इन्हें खरीदते समय पूजा का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इनकी पूजा करने से परिवार में खुशहाली और सौभाग्य आता है। आमतौर पर धनतेरस, अक्षय तृतीया और अन्य शुभ अवसरों पर सोना-चांदी खरीदना बेहद लोकप्रिय है, लेकिन इनके अलावा भी कई अन्य शुभ तिथियाँ होती हैं जब आप इन धातुओं की खरीद कर सकते हैं। आइए जानते हैं सोना-चांदी की पूजा का महत्व, पूजा विधि और 2025 के शुभ मुहूर्त।
सोना-चांदी की खरीद आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि इनकी पूजा करने से देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की कृपा प्राप्त होती है। यह संपत्ति न केवल आर्थिक रूप से सुरक्षित रखती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी लाती है। धनतेरस, अक्षय तृतीया जैसे विशेष अवसरों पर सोना-चांदी खरीदना और उनकी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह परंपरा हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक जड़ों से जुड़ी हुई है।
सोना-चांदी खरीदने के बाद इनकी पूजा करना आवश्यक होता है। पूजा विधि इस प्रकार है:
कभी भूलू ना कभी भूलू ना
कभी भूलू ना याद तुम्हारी
सुख दुःख दोनों रहते जिस में
जीवन है वो गाओं
कभी दुर्गा बनके,
कभी काली बनके,
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना ।