घने जंगलों के बीच यमुना नदी के किनारे पर स्थित है मां ब्रह्माणी का ये मंदिर, म्यांमार से लाई गई प्रतिमा
इटावा, फिरोजाबाद, आगरा, भिंड, ग्वालियर, औरैया जनपद एवं अन्य आस-पास के क्षेत्र की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है मां ब्रह्माणी देवी मंदिर। अष्टमी, नवमी के दिन यहां भक्तों की भीड़ जमा होती है। इस मंदिर की महिमा दूर-दूर तक प्रचलित है। लाखों भक्त यमुना के बीहड़ों में विराजमान देवी के दर्शन करने पहुंचते हैं। यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। यह जगह स्वयं में ही बरमानी नाम से ही प्रसिद्ध है। ये मंदिर इटावा शहर से 18 किमी दूर बालराई के घने जंगलों में यमुना नदी के समीप है।
महाराजा भदावर से जुड़ी मंदिर की कथा
प्रचलित कहानी के अनुसार महाराजा भदावर को सपने में माता ब्रह्माणी ने आकर कहा कि, मैं यमुनी नदी के समीप भूमि में समाहित हूं, मेरी स्थापना करों। अगले दिन महाराज भदावर ने यमुना नदी के समीप वाली भूमि से माता ब्रह्माणी की मूर्ति निकाली। अन्य किंवदंतियों के अनुसार, महाराजा भदावर माता ब्रह्माणी को म्यांमार देश से एक शर्त पर लेकर आए थे। दोनों किंवदंतियों में शर्त थी कि, जिस जगह तुमने पीछे मुड़कर देखा में वहीं रुक जाऊंगी। इसी जगह पर आकर राजा को एक आवाज सुनाई दी तो राजा ने पीछे मुड़कर देखा तो माता की मूर्ति ने विशाल रुप धारण कर लिया और शर्त के अनुसार मंदिर का निर्माण सन् 1500 के आसपास महाराजा भदावर ने करवाया। आज भी भदावर का शाही परिवार माता ब्रह्माणी को कुलदेवी के रूप में पूजता हैं।
मां ब्रह्माणी मंदिर का गर्भगृह
ऐसा मान्यता है कि मंदिर के गर्भगृह का निर्माण बीसा यंत्र के साथ स्वयं आदि-शिल्पी विश्वकर्मा जी ने 12 द्वार एवं नौ ग्रहों की स्थापना के साथ निर्मित किया था। मंदिर क्षेत्र के आस-पास नौ कुएं भी स्थापित हैं। हिंदी कैलेंडर के अनुसार, साल में 3 बार चैत्र, आषाढ़, एवं अश्विन के महीनों में मेले का आयोजन होता है। चैत्र की नवरात्रि में सबसे अधिक भीड़ होती हैं। सामान्यतः मेले में श्रद्धालुओं की लाखों की संख्या में भीड़ तथा 100 से ज्यादा दुकानें लगती हैं। माता ब्रह्माणी देवी पर हजार से ऊपर झंड़ा चढ़ाए जाते हैं। भक्त गण ज्वारों और झंडे को उठाकर पैदल कोसो मील चल कर, कुछ श्रद्धालु भूमि पर दंडवत करते हुए मां के भवन तक जाते हैं। यहां आकर श्रद्धालु सुकून का अहसास करते हैं तथा माता ने अपनी मन्नत पाकर घर वापस लौटते हैं। वर्तमान समय में यहां शिवजी और हनुमान का भी मंदिर हैं।
कभी मंदिर में सुनाई देती थी गोलियों की तड़तड़ाहट की आवाज
कुछ विद्वानों द्वारा बताया जाता है कि भदावर स्टेट के राजा मानसिंह के लंबे समय तक जब कोई संतान नहीं हुई, तो उन्होंने देवी ब्रह्माणी का आराधना की। तभी उन्हें राजा रिपुदमन सिंह पुत्र के रूप में देवी के वरदान से प्राप्त हुए। इसके बाद उनकी राजमाता शिरोमणि देवी ने संवत 2012 में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। वहीं कभी इस मंदिर पर नवरात्र के समय गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजती थी, लेकिन अब मंदिर की घंटियां ही सुनाई देती है। दरअसल, डकैतों के समय इस मंदिर पर तमाम डकैत पुलिस को चुनौती देने के बाद घंटा चढ़ाने एवं माथा टेकने आते हैं।
कई नामी डकैतों ने टेका मां के दरबार में माथा
ब्रह्माणी मैया का नाम दस्युओं और बागियों के कारण काफी चर्चित रहा है। नवदुर्गा मंदिर पर झंड़ा चढ़ाने और देवी आराधना के लिए पूर्व बागी डाकू मान सिंह, माधो सिंह, तहसीलदार सिंह, मोहर सिंह, मलखान सिंह, फूलन देवी, छविराम सिंह अवश्य ही आते थे। पुलिस नाकाबंदी के बावजूद वह भेष बदलकर मैंया के द्वार पर माथा अवश्य टेक जाते थे। ब्रह्माणी का बीहड़ सदैव से ही बागियों के लिए सबसे सुरक्षित शरण स्थली रही है।
मंदिर के त्योहार
मंदिर के मुख्य रूप से नवरात्रि, पूर्णिमा, होली, दीपावली जैसे त्योहार मनाए जाते हैं।
अष्टमी-नवमी पर दूर-दूर से भक्त आते हैं
नवरात्रि और अष्टमी नवमी पर लगने वाले मेले में इटावा, भिंड, ग्वालियर, मुरैना, वाह, फिरोजाबाद, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, आदि जिलों के देवी भक्त तो पधारते ही हैं। इसी के ही साथ एमपी, राजस्थान, महाराष्ट्र, बंगाल से भी भक्त मन्नत मांगने आते हैं। इस मंदिर के संकरे भवन में विराजमान देवी ब्रह्माणी की मूर्ति के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं। मंदिर परिसर में जलने वाली धूप और दीपकों के कारण दर्शन और भी दुर्लभ हो जाते हैं।
मंदिर कैसे पहुंचे
- हवाई मार्ग - यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंडित दीनदयाल उपाध्याय एयरपोर्ट आगरा (खेरिया एयरपोर्ट) और चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (लखनऊ) हैं। यहां से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- रेल मार्ग - यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बालराई रेलवे स्टेशन, जसवंत रेलवे स्टेशन हैं। यहां से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
- सड़क मार्ग - यहां पहुंचने के लिए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे, बालराई-जसवंत नगर रोड- ब्रह्माणी देवी रोड आप ले सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए आप किसी भी मार्ग से पहुंच सकते हैं।
- मंदिर का समय - सुबह 4:00 बजे से लेकर 11:45 रात तक