भस्म तेरे तन की,
बन जाऊं भोलेनाथ,
भक्ति में तेरी,
रम जाऊं भोलेनाथ,
शाम सुबह गुण तेरा,
गाऊं भोलेनाथ,
भक्ति में तेरी,
रम जाऊं भोलेनाथ ॥
जब जब तू भंगिया को,
हाथ से लगाए,
प्याले के रूप में तू,
मुझको ही पाए,
जैसा तू ढाले,
ढल जाऊं भोलेनाथ,
भक्ति में तेरी,
रम जाऊं भोलेनाथ ॥
खोया रहूं भोले,
सेवा में तेरी,
अंतिम यही है,
अभिलाषा शिव मेरी,
धूल तेरे पग की,
बन जाऊं भोलेनाथ,
भक्ति में तेरी,
रम जाऊं भोलेनाथ ॥
कर दूँ ये जीवन,
मैं तुझको समर्पण,
तेरा दिया कर दूँ,
तुझको ही अर्पण,
नाम तेरा हर पल,
मैं गाऊं भोलेनाथ,
भक्ति में तेरी,
रम जाऊं भोलेनाथ ॥
भस्म तेरे तन की,
बन जाऊं भोलेनाथ,
भक्ति में तेरी,
रम जाऊं भोलेनाथ,
शाम सुबह गुण तेरा,
गाऊं भोलेनाथ,
भक्ति में तेरी,
रम जाऊं भोलेनाथ ॥
चरणों में रखना,
मैया जी मुझे चरणों में रखना,
चटक मटक चटकीली चाल,
और ये घुंघर वाला बाल,
उज्जैन में हर साल वैकुंठ चर्तुदशी पर एक अनोखा दृश्य देखने को मिलता है जब भगवान शिव जिन्हें बाबा महाकाल के रूप में पूजा जाता है।
चटक रंग में, मटक रंग में,
धनीलाल रंग में, गोपाल रंग में ।