झूले पलना में कृष्ण कन्हैया,
बधाई बाजे गोकुल में,
बधाई बाजे गोकुल में,
बधाई बाजे गोकुल में,
झूलें पलना में कृष्ण कन्हैया,
बधाई बाजे गोकुल में ॥
नन्द भवन की शोभा न्यारी,
तीन लोक जाएं बलिहारी,
बाजे नोपत ढोल शहनईया,
बधाई बाजे गोकुल में,
बधाई बाजे गोकुल में,
झूलें पलना में कृष्ण कन्हैया,
बधाई बाजे गोकुल में ॥
धन्य भयो नन्द बाबा को अंगना,
पूरण ब्रम्ह झूल रह्यो पलना,
श्याम तन पे पीत झगुलिया,
बधाई बाजे गोकुल में,
बधाई बाजे गोकुल में,
झूलें पलना में कृष्ण कन्हैया,
बधाई बाजे गोकुल में ॥
मंगल गावे मिल ब्रजनारी,
जायो यशोदा ने गिरवर धारी,
झूमे नाचे ग्वाल ग्वालिनिया,
बधाई बाजे गोकुल में,
बधाई बाजे गोकुल में,
झूलें पलना में कृष्ण कन्हैया,
बधाई बाजे गोकुल में ॥
‘चित्र विचित्र’ जब सुनी खबरिया,
आये पकड़ ‘पागल’ की अंगुलिया,
जीवे जुग जुग नन्द जु को छैया,
बधाई बाजे गोकुल में,
बधाई बाजे गोकुल में,
झूलें पलना में कृष्ण कन्हैया,
बधाई बाजे गोकुल में ॥
झूले पलना में कृष्ण कन्हैया,
बधाई बाजे गोकुल में,
बधाई बाजे गोकुल में,
बधाई बाजे गोकुल में,
झूलें पलना में कृष्ण कन्हैया,
बधाई बाजे गोकुल में ॥
कुम्भ मेला एक ऐसा अवसर है जब श्रद्धालु पुण्य अर्जित करने के लिए संगम स्नान, दान और ध्यान करते हैं। इस पवित्र अवसर पर यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि हम कोई ऐसा कार्य न करें जिससे पाप का अर्जन हो जाए।
इस साल, 13 जनवरी से 27 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन होने जा रहा है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु और साधु-संत संगम के तट पर एकत्रित होंगे, जहां पवित्र गंगा, यमुना और संगम के जल में स्नान करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
महाकुंभ का मेला हर बार अपार श्रद्धा और धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है। विशेष पुण्य और आशीर्वाद की प्राप्ति के साथ, यह स्नान जीवन को नई दिशा और शांति प्रदान करता है।
अब वह समय नजदीक है, जब प्रयागराज के संगम तट पर बड़े-बड़े तंबू, नागा साधुओं की भीड़, चिलम सुलगाते बाबा और जटाएं लहराते संतों के संग सैकड़ों श्रद्धालु डुबकी लगाते दिखाई देंगे। यह दृश्य लगभग 13 जनवरी से देखने को मिलेगा, जब महाकुंभ मेला शुरू होगा।