खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा,
मोरछड़ी ले लीले चढ़के,
संग ख़ुशी लाएगा,
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा ॥
तुझको तो बस इतना करना,
श्याम से नेह लगाना है,
दीन दुखी निर्बल का हरदम,
तुझको साथ निभाना है,
तुझपे अपना प्रेम लुटाने,
तेरे लिए आएगा,
मोरछड़ी ले लीले चढ़के,
संग ख़ुशी लाएगा,
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा ॥
दुनिया वाले क्या कहते है,
उसपे ना तू विचार कर,
श्याम के आगे करके समर्पण,
जो भी मिले स्वीकार कर,
हार के खुद को तुझको जिताने,
तेरे लिए आएगा,
मोरछड़ी ले लीले चढ़के,
संग ख़ुशी लाएगा,
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा ॥
जितनी भी उलझन है ‘मोहित’,
श्याम उसे हल कर देगा,
पापों से मुक्ति देकर के,
जीवन सफल ये कर देगा,
केवट बनकर पार लगाने,
तेरे लिए आएगा,
मोरछड़ी ले लीले चढ़के,
संग ख़ुशी लाएगा,
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा ॥
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा,
मोरछड़ी ले लीले चढ़के,
संग ख़ुशी लाएगा,
खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास वर्ष का तीसरा महीना होता है, जो धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह मास सूर्य की प्रचंडता और तपस्या के लिए समर्पित होता है।
भारत की परंपराएं अपनी गहराई और आध्यात्मिकता के लिए जानी जाती हैं। इन्हीं परंपराओं में एक प्रमुख स्थान रखता है ‘वट सावित्री व्रत’, जिसे सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-शांति और अखंड सौभाग्य की कामना से करती हैं।
हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, सुखद वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है।
वट सावित्री का व्रत पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए किया जाने वाला एक पवित्र व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है।