माँ शारदा भवानी,
बैठी है देखो कैसे,
मैया सजी है ऐसे,
दुल्हन बनी हो जैसे,
मां शारदा भवानी,
बैठी है देखो कैसे ॥
हाथो में चूड़ी चमके,
माथे में बिंदियां दमके,
कानो में बाली लटके,
बालो में गजरा महके,
लहराए केश ऐसे,
काली घटा के जैसे,
मैया सजी है ऐसे,
दुल्हन बनी हो जैसे,
मां शारदा भवानी,
बैठी है देखो कैसे ॥
हीरो जड़ी है नथनी,
सोने की पहने ककनी,
पाओ में पहने मुंदरी,
ओढे है लाल चुनरी,
चेहरा चमक रहा है,
पूनम के चाँद जैसे,
मैया सजी है ऐसे,
दुल्हन बनी हो जैसे,
मां शारदा भवानी,
बैठी है देखो कैसे ॥
पाओ में है महावल,
पायल है घुंघरू वाली,
आंखे है काली काली,
होठो पे लाल लाली,
माँ के नयन है ऐसे,
खिलते कमल हो जैसे,
मैया सजी है ऐसे,
दुल्हन बनी हो जैसे,
मां शारदा भवानी,
बैठी है देखो कैसे ॥
माँ शारदा भवानी,
बैठी है देखो कैसे,
मैया सजी है ऐसे,
दुल्हन बनी हो जैसे,
मां शारदा भवानी,
बैठी है देखो कैसे ॥
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है। उपनयन शब्द का अर्थ है "अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना"।
बच्चे के जन्म के बाद हिंदू परंपरा में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान किया जाता है जिसे मुंडन संस्कार कहा जाता है। यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह व्यक्ति की आत्मा की शुद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक भी है।
माघ महीने का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है खासकर जब बात विवाह की आती है। इस महीने में गंगा स्नान और भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही दान-पुण्य और मांगलिक कार्यों के लिए यह महीना अत्यंत शुभ माना जाता है।
फरवरी का महीना नई उमंग और उत्साह का प्रतीक है जब लोग अपने जीवन में नए सपनों को पूरा करने की योजना बनाते हैं। चाहे वह नया व्यवसाय शुरू करना हो