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मेरो मन राम ही राम रटे रे (Mero Maan Ram Hi Ram Rate Re)

मेरो मन राम ही राम रटे रे (Mero Maan Ram Hi Ram Rate Re)

मेरो मन राम ही राम रटे रे,

राम ही राम रटे रे ॥


राम नाम जप लीजे प्राणी,

कोटिक पाप कटे रे,

राम नाम जप लीजे प्राणी,

कोटिक पाप कटे रे,

जनम जनम के खत जो पुराने,

जनम जनम के खत जो पुराने,

नाम ही लेत फटे रे,

मेरो मन राम ही राम रटें रे,

राम ही राम रटे रे ॥


कनक कटोरे अमृत भरियो,

पीवत कौन नटे रे,

कनक कटोरे अमृत भरियो,

पीवत कौन नटे रे,

मीरा कहे प्रभु हरि अविनाशी,

मीरा कहे प्रभु हरि अविनाशी,

तन मन ताही फटे रे,

मेरो मन राम ही राम रटें रे,

राम ही राम रटे रे ॥


मेरो मन राम ही राम रटे रे,

राम ही राम रटे रे ॥

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भारत में होली के अलग-अलग रंग

बरसाना और नंदगांव की होली विश्व प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए हर साल हजारों लोग यहां पहुंचते हैं। यह होली श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कथा से जुड़ी हुई है। बरसाना में महिलाएं पुरुषों पर प्रेमपूर्वक लाठियां बरसाती हैं और पुरुष ढाल लेकर खुद को बचाने का प्रयास करते हैं।

होलिका दहन शुभ समय और भद्रा का साया

होली फेस्टिवल होलिका दहन के एक दिन बाद मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसका विशेष अर्थ है। बता दें कि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और कई लोग होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जानते है।

घर पर होलिका दहन की विधि

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, होलिका दहन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और सुख-समृद्धि बढ़ती है। होलिका दहन के विधिवत आराधना करने से नकारात्मकता भी घर से बाहर चल जाता है। इसके साथ ही माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद बना रहता है।

ब्रज होली की पौराणिक कथा

होली का नाम सुनते ही हमारे मन में रंगों की खुशबू, उत्साह और व्यंजनों की खुशबू बस जाती है। यह भारत के सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, लेकिन इसकी उत्पत्ति के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। हालांकि, होली से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं।

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