मेरो राधा रमण गिरधारी,
गिरधारी श्याम बनवारी,
मेरो राधा रमण गिरधारी,
गिरधारी श्याम बनवारी,
मेरो राधा रमण गिरधारी,
गिरधारी श्याम बनवारी,
गोविंद मेरो है, गोपाल मेरो है,
श्री बांके बिहारी, नंदलाल मेरो है,
गोविंद मेरो है, गोपाल मेरो है,
श्री बांके बिहारी, नंदलाल मेरो है,
गोविंद मेरो है, गोपाल मेरो है
भजो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
रटो राधे गोविंद,
रटो राधे गोविंद,
रटो राधे गोविंद,
रटो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
रटो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद
रटो राधे गोविंद,
रटो राधे गोविंद,
भजो राधे गोविंद,
रटो राधे गोविंद,
जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाने के पीछे देश के दो संप्रदाय हैं जिनमें पहला नाम स्मार्त संप्रदाय जबकि दूसरा नाम वैष्णव संप्रदाय का है।
भगवान अपने भक्तों को कब, कहा, क्या और कितना दे दें यह कोई नहीं जानता। लेकिन भगवान को अपने सभी भक्तों का सदैव ध्यान रहता है। वे कभी भी उन्हें नहीं भूलते। भगवान उनके भले के लिए और कल्याण के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
मुरलीधर, मुरली बजैया, बंसीधर, बंसी बजैया, बंसीवाला भगवान श्रीकृष्ण को इन नामों से भी जाना जाता है। इन नामों के होने की वजह है कि भगवान को बंसी यानी मुरली बहुत प्रिय है। श्रीकृष्ण मुरली बजाते भी उतना ही शानदार हैं।
भक्त वत्सल की जन्माष्टमी स्पेशल सीरीज के एक लेख में हमने आपको बताया था कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना में कूदकर कालिया नाग से युद्ध किया था। क्योंकि उसके विष से यमुना जहरीली हो रही थी।