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राधा का चितचोर कन्हैया (Radha Ka Chitchor Kanhaiya)

राधा का चितचोर कन्हैया (Radha Ka Chitchor Kanhaiya)

राधा का चितचोर कन्हैया,

दाऊजी का नटखट भैया,

कुञ्ज गलिन का रास रचैया,

भा गया हमें भा गया,

भा गया हमें भा गया ॥


मोर मुकुट मोतियन की माला,

ऐसा प्यारा रूप निराला,

कारी कारी अखियां कारी,

होंठों की लाली मतवाली,

पित वसन पीताम्बर धारी,

भा गया हमें भा गया,

भा गया हमें भा गया ॥


किस प्रेमी ने इसे सजाया,

केसर चन्दन इतर लगाया,

बांकी बांकी चितवन प्यारी,

कर में मुरली जादूगारी,

कानुड़ा गोवर्धन धारी,

भा गया हमें भा गया,

भा गया हमें भा गया ॥


नैनो से बातें ये करता,

कभी मचलता कभी मटकता,

जब देखूं हँसता ही जाए,

प्रीत के तीर चलाता जाए,

मेरा जी ललचाता जाए,

भा गया हमें भा गया,

भा गया हमें भा गया ॥


माखन मिश्री बेगा ल्याओ,

कानुड़ा का जी ललचाओ,

सारा चट मत ना कर जाना,

‘नंदू’ कुछ हमको दे जाना,

तेरा मेरा प्यार पुराना,

भा गया हमें भा गया,

भा गया हमें भा गया ॥


राधा का चितचोर कन्हैया,

दाऊजी का नटखट भैया,

कुञ्ज गलिन का रास रचैया,

भा गया हमें भा गया,

भा गया हमें भा गया ॥

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नवरात्रि में कलश स्थापना कैसे करें

कलश स्थापना को शुभता और मंगल का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कलश में जल को ब्रह्मांड की सभी सकारात्मक ऊर्जाओं का स्रोत माना गया है।

चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अंतर

सनातन परंपरा में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र के महीने में, जिससे हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। दूसरा, आश्विन माह में आता है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं।

चैत्र नवरात्रि कथा

चैत्र नवरात्रि हिंदू नव वर्ष के साथ आती है और इसे विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। पंचांग के अनुसार, 2025 में चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल तक चलेगी।

शारदीय नवरात्रि पौराणिक कहानी

शारदीय नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा की जाती है और यह शक्ति साधना का पर्व है। इस दौरान भक्तजन उपवास रखते हैं और विजयादशमी पर उत्सव मनाया जाता है।

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