नन्द बाबा के अंगना देखो,
बज रही आज बधाई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
ढोल झांझ मृदंगहूँ बाजे,
और बाजे शहनाई,
सजधज कर सब सखियाँ आई,
गावन लगी बधाई,
मैं भी नाचन को आई,
मैं भी गावन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
मंगल साज सजाये सखी सब,
मैया के ढिंग आए,
युग युग जीवे तेरो लाला,
ये आशीष सुनाई,
काली घटा है छाई,
सब दौड़ दौड़ कर आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
नन्द बाबा के अंगना देखो,
बज रही आज बधाई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण, मां काली और यमराज की पूजा करने का विधान है। इस दिन संध्या के समय यमराज को दीप अर्पित किया जाता है।
दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। हालांकि दिवाली की रोशनी से एक दिन पहले हमें अच्छाई और सच्चाई की ओर ले जाने वाला त्योहार आता है, जिसमें हम छोटी दिवाली के रूप में मनाते हैं।
छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से 5 दीये जलाने का प्रचलन है। इनमें से एक दीया घर के ऊंचे स्थान पर, दूसरा रसोई में, तीसरा पीने का पानी रखने की जगह पर, चौथा पीपल के पेड़ के तने और पांचवा घर के मुख्य द्वार पर जलाना सबसे उचित माना गया है।
दिवाली का त्योहार पूरे देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ अन्य देवी-देवताओं की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है।