नन्द बाबा के अंगना देखो,
बज रही आज बधाई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
ढोल झांझ मृदंगहूँ बाजे,
और बाजे शहनाई,
सजधज कर सब सखियाँ आई,
गावन लगी बधाई,
मैं भी नाचन को आई,
मैं भी गावन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
मंगल साज सजाये सखी सब,
मैया के ढिंग आए,
युग युग जीवे तेरो लाला,
ये आशीष सुनाई,
काली घटा है छाई,
सब दौड़ दौड़ कर आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
नन्द बाबा के अंगना देखो,
बज रही आज बधाई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई,
नगाड़ा जोर से बजा दे,
मैं नृत्य करन को आई ॥
चेटीचंड, सिंधी समुदाय के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जिसे सिंधी नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है।
झूलेलाल जयंती, जिसे चेटीचंड के नाम से भी जाना जाता है, सिंधी समुदाय के लिए एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन होता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जो हिंदू नववर्ष के प्रारंभिक दिनों में आता है।
हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवता समान माना जाता है और उनकी पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। चंद्र दर्शन का विशेष महत्व अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन करने से जुड़ा हुआ है।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत महादेव और माता पार्वती को समर्पित है।