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ओ मईया तैने का ठानी मन में (O Maiya Tene Ka Thani Man Me)

ओ मईया तैने का ठानी मन में (O Maiya Tene Ka Thani Man Me)

ओ मईया तैने का ठानी मन में,

राम-सिया भेज दये री बन में,

दीवानी तैने का ठानी मन में,

राम-सिया भेज दये री बन में ॥


जदपि भरत तेरो ही जायो,

तेरी करनी देख लजायो,

अपनों पद तैने आप गँवायो,

भरत की नजरन में,

राम-सिया भेज दये री बन में ॥

हठीली तैने का ठानी मन में,

राम-सिया भेज दये री बन में ॥


मेहल छोड़ वहाँ नहीं रे मड़ैया,

सिया सुकुमारी,संग दोउ भईया,

काहू वृक्ष तर भीजत होंगे,

तीनों मेहन में,

राम-सिया भेज दये री बन में ॥

हठीली तैने का ठानी मन में,

राम-सिया भेज दये री बन में ॥


कौशल्या की छिन गयी बानी,

रोय ना सकी उर्मिल दीवानी,

कैकेयी तू बस एक ही रानी,

रह गयी महलन में,

राम-सिया भेज दये री बन में ॥

हठीली तैने का ठानी मन में,

राम-सिया भेज दये री बन में ॥


ओ मईया तैने का ठानी मन में,

राम-सिया भेज दये री बन में,

दीवानी तैने का ठानी मन में,

राम-सिया भेज दये री बन में ॥

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सिंधु नदी (Sindhu Nadi)

प्राचीन भारतीय ग्रंथों में सिंधु के नाम से जानी जाने वाली सिंधु नदी हिंदू पौराणिक कथाओं और इतिहास का केंद्र रही है।

कावेरी नदी (Kaveri River)

सप्त नदियों में कावेरी नदी का भी विशेष स्थान है। तमिलनाडु और कर्नाटक में ये अपने जीवनदायनी गुणों की वजह से प्रसिद्ध है। कावेरी नदी को भगवान दत्तात्रेय से जोड़कर देखा जाता है।

गोदावरी नदी (Godavari Nadi)

हिंदू पौराणिक कथाओं की 'पवित्र सात नदियों' में गोदावरी नदी का उल्लेख मिलता है। गंगा और यमुना के अलावा गोदावरी का भी भारत में काफी महत्त्व है। यह नदी उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृतियों का संगम है।

अश्वत्थामा (Ashwatthama)

गुरु द्रोणाचार्य और कृपी के पुत्र अश्वत्थामा महाभारत काल से इस धरती पर मौजूद है।

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