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सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है(Sare Jahan Ke Malik Tera Hi Aasara Hai)

सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है(Sare Jahan Ke Malik Tera Hi Aasara Hai)

सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

हम क्या बताएं तुमको, सब कुछ तुझे खबर है,

हर हाल में हमारी, तेरी तरफ नजर है,

किस्मत है वो हमारी, जो तेरा फैसला है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


हाथों को दुआ की, खातिर मिलाएं कैसे,

सजदे में तेरे आकर, सर को झुकाएं कैसे,

मजबूरियां हमारी, बस तू ही जानता है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


रो कर कटे या हंस कर, कटती है जिंदगानी,

तू गम दे या ख़ुशी दे, सब तेरी मेहेरबानी,

तेरी ख़ुशी समझकर, सब गम भुला दिया है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


दुनिया बना के मालिक, जाने कहाँ छिपा है,

आता नहीं नजर तू, बस इक यही गिला है,

भेजा इस जहाँ में, जो तेरा शुक्रिया है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,

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आरती भगवान गिरिधारी जी की ( Aarti Bhagwan Giridhari Ji Ki)

जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय जय गिरधारी।
दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हित कारी॥

राम आरती होन लगी है (Ram Aarti Hone Lagi Hai)

जगमग जगमग जोत जली है,
राम आरती होन लगी है..

श्री रामायण जी की आरती (Shri Ramayan Ji Ki Aarti)

आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

श्री गिरिराज जी की आरती (Shri Giriraj Ji Ki Aarti)

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संकट में तुम राखौ,निज भक्तन की लाज॥

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