सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है(Sare Jahan Ke Malik Tera Hi Aasara Hai)

सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

हम क्या बताएं तुमको, सब कुछ तुझे खबर है,

हर हाल में हमारी, तेरी तरफ नजर है,

किस्मत है वो हमारी, जो तेरा फैसला है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


हाथों को दुआ की, खातिर मिलाएं कैसे,

सजदे में तेरे आकर, सर को झुकाएं कैसे,

मजबूरियां हमारी, बस तू ही जानता है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


रो कर कटे या हंस कर, कटती है जिंदगानी,

तू गम दे या ख़ुशी दे, सब तेरी मेहेरबानी,

तेरी ख़ुशी समझकर, सब गम भुला दिया है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


दुनिया बना के मालिक, जाने कहाँ छिपा है,

आता नहीं नजर तू, बस इक यही गिला है,

भेजा इस जहाँ में, जो तेरा शुक्रिया है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,


सारे जहाँ के मालिक, तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में, जिस में तेरी रजा है,

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प्रदोष व्रत और इसके प्रकार

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है। इसे भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और प्रत्येक वार पर आने वाले प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व और फल है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र (Shiv Panchakshar Stotram )

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥ ॥ Shrishivpanchaksharastotram ॥
nagendraharay trilochanay,
bhasmangaragay maheshvaray .
nityay shuddhay digambaray,
tasmai na karay namah shivay .1.

कृपा मिलेगी श्री राम जी की(Kirpa Milegi Shri Ramji Ki)

किरपा मिलेगी श्री राम जी की,
भक्ति करो, भक्ति करो,

पापमोचनी एकादशी के उपाय

पापमोचनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है।

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