शिव भोला भंडारी,
सुख का त्योहार,
मिले डमरू के ताल,
सुख का त्योहार,
मिले डमरूके ताल,
करे दुख पिडा पार जटाधारी,
शिव भोला भंडारी,
शिव भोला भंडारी ॥
ॐकारेश्वर… बम बम भोले,
निलकंठेश्वर… बम बम भोले,
केदारेश्वर… बम बम भोले,
जय शिवशंकर… बम बम भोले,
जय शिव शंभो… बम बम भोले,
जय त्रिपुरारी… बम बम भोले,
शंखनाद त्रिनिनाद बाजे,
भस्मलेप शृंगार भी साजे,
जटा मुकुट पर गंगा विराजे,
बबम बम बबम भोले,
क्रोध कोप सूरहि भयभीत,
व्याघ्रवस्त्र रुद्राक्ष सहित,
दान तेरा वरदान निहीत,
बबम बम बबम भोले,
शिव भोला भण्डारी,
शिव भोला भंडारी ॥
कण कण में है तेरा बसेरा,
नैन न जिसको तू उजीयारा,
सुख कि आहट आस भी तू है,
बुझने न पाये वो प्यास भी तू है,
तुहि मेरा राम भोले तुहि घनश्याम,
तुहि मेरा राम भोले तुहि घनश्याम,
दिन रात जाप में मैने है गुजारी,
शिव भोला भण्डारी,
शिव भोला भंडारी ॥
मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:। स्थिरासनो महाकाय: सर्व-कर्मावरोधकः॥1॥
ॐ अस्य आदित्यह्रदय स्तोत्रस्य, aaditya hriday stotra
आज 4 अगस्त यानी रविवार को हरियाली अमावस्या है, ये तिथि भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास की एक विशेष तिथि है जो हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। माना जाता है कि साल के इस समय धरती हरियाली की चादर से ढक जाती है इसलिए श्रावण अमावस्या को हरियाली का त्यौहार कहा जाता है।
हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। हरियाली तीज का अर्थ है "हरियाली की तीज" या "हरित तीज"। यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह त्योहार मानसून के मौसम में मनाया जाता है, जब प्रकृति में हरियाली का प्रवेश होता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है।