नवीनतम लेख
तेरे द्वार पे आने वालो ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है,
हर और निराले जलवे हैं,
जहाँ भवन तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है ॥
पत्थर को चीर चट्टानों से,
क्या सुन्दर गुफा बनाई है,
चरणों से निकली गंगधारा,
ये कैसी लीला रचाई है,
हर डाल डाल हर पत्ते में,
माँ नूर तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है ॥
दरबार में ध्यानु ने आकर,
सर काट के अपना चढ़ाया था,
माँ शक्ति आद्य भवानी ने,
फिर चमत्कार दिखलाया था,
ध्यानु के सर को जोड़ दिया,
उपकार तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है ॥
‘बलवीर’ कहे सुन जगदम्बे,
क्यों दर से मुझे भुलाया है,
‘आयोजिका’ कहे सुन जगदम्बे,
क्यों दर से मुझे भुलाया है,
एक बार करम अपना कर दो,
माँ दास तुम्हारा आया है,
मैं कैसे सबर करूँ दिल में,
दीदार तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है ॥
तेरे द्वार पे आने वालो ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है,
हर और निराले जलवे हैं,
जहाँ भवन तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने,
क्या अजब नज़ारा देखा है ॥
........................................................................................................'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।