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शुक्रवार देवी-देवता पूजा

शुक्रवार देवी-देवता पूजा

Shukrwar Devta Puja: शुक्रवार के दिन इन देवी-देवताओं की पूजा का है विशेष महत्व, पूजन से पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं


हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता या ग्रह को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुनिश्चित दिन पर किसी देवी-देवता की पूजा करने से जातकों को विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा सनातन धर्म में ग्रह पूजा का भी विशेष महत्व है। सनातन परंपरा के अनुसार शुक्रवार का दिन बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी, मां संतोषी, मां वैभव लक्ष्मी और शुक्र ग्रह की पूजा के लिए उत्तम होता है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन से आर्थिक तंगी, पारिवारिक परेशानियां और मानसिक तनाव दूर होते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं शुक्रवार के दिन इनका पूजा करने का क्या है धार्मिक महत्व और क्या मिलता है लाभ। 


शुक्र ग्रह का व्रत

सनातन परंपरा में शुक्रवार का संबंध सीधे तौर पर शुक्र ग्रह से होता है, जो जीवन में सुख, ऐश्वर्य और प्रेम के कारक माने जाते हैं। जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें शुक्रवार के दिन व्रत रखने की सलाह दी जाती है। ऐसे में यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह से संबंधित दोष है तो आपको लगातार 21 या 31 शुक्रवार तक व्रत रखना चाहिए और सफेद वस्त्र, चावल, चीनी आदि का दान करना चाहिए। मान्यता है कि शुक्र ग्रह की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


मां संतोषी का व्रत

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां संतोषी को भगवान गणेश की पुत्री माना जाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति के जीवन की तमाम समस्याएं खत्म होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मां संतोषी का व्रत 16 शुक्रवार तक किया जाता है। इस व्रत में खट्टी चीजों का सेवन नहीं किया जाता है। इस दिन माता को गुड़ और चना का भोग लगाया जाता है। इस व्रत की शुरुआत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से की जा सकती है। व्रत पूरा होने पर उद्यापन करने पर ही इसका फल प्राप्त होता है।


वैभव लक्ष्मी व्रत

मां वैभव लक्ष्मी को सुख-समृद्धि और धन की देवी माना जाता है। उनका व्रत शुक्रवार के दिन सुहागिन महिलाएं विशेष रूप से करती हैं। यह व्रत भी शुक्ल पक्ष के किसी शुक्रवार से शुरू किया जाता है और इसे 11 या 21 शुक्रवार तक किया जा सकता है। इस व्रत में दिन में एक बार भोजन करने का विधान है। व्रत पूरा होने पर 7 सुहागिनों या कन्याओं को बुलाकर खीर का प्रसाद खिलाया जाता है और वैभव लक्ष्मी व्रत कथा की पुस्तक भेंट की जाती है।


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